संत रामपाल का एक ही सपना दहेज मुक्त हो भारत अपना
जबलपुर दर्पण। बरगी ग्राम मोहास में सत्संग के बाद में एक जोड़े का दहेजमुक्त विवाह हुआ। यह विवाह संत रामपाल के सान्निध्य में संपन्न हुआ। संत रामपाल ने समाज में दहेजमुक्त विवाहों की एक विशेष श्रृंखला शुरू की है। इसके तहत अपने परिवार एवं गुरुजनों की उपस्थिति में गुरुवाणी के माध्यम से विवाह बंधन में बंध जाते हैं। आज पन्ना से जानकी दासी पुत्री श्री मथुरा हल्दकार तथा बरगी मोहास से पवन दास पुत्र राज कुमार दास का विवाह रमैनी के माध्यम से संपन्न हुआ। खास बात यह है कि इस तरह के विवाहों में किसी भी तरह का कोई आडम्बर नहीं होता और न ही किसी तरह का कोई दिखावा। बिना दान दहेज, दिखावे और बिना डीजे बरात के मात्र 17 मिनट में गुरुवाणी से जोड़े विवाह बंधन में बंध जाते हैं। संत रामपाल जी ने इस तरह के विवाह सर्वोत्तम बताए हैं क्योंकि इसी प्रकार से माता आदिशक्ति ने अपने तीनों बेटों ब्रह्मा, विष्णु, महेश का विवाह किया था। 17 मिनट की इस गुरुवाणी में पूर्ण परमेश्वर कविर्देव के साथ सभी देवी देवताओं की स्तुति की जाती है। परम शक्तियां आजीवन विवाहित जोड़े की सहायता करती हैं। इस विवाह में वधू पक्ष से एक रुपया भी दहेज नहीं लिया गया। संत जी ने अपने सत्संगों में बताया है कि दहेज लेना ज़हर लेने के समान है। इस प्रकार के विवाह निश्चित ही समाज में अत्यंत अनुकरणीय हैं। संत रामपाल जी के तत्वज्ञान ने समाज की आंखें खोली हैं। अब तक संत रामपाल जी लाखों रमैनी विवाह करवा चुके हैं एवं लाखों बेटियां सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही हैं। ऐसे विवाहों से बेटियां बोझ नहीं रहेंगी और न ही उन्हें कोख में मारा जायेगा। बेटियां तो नेमत होती हैं। ऐसे विवाह समाज में सराहनीय कदम हैं जिनसे लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। संत रामपाल जी का नाम विश्व के सबसे बड़े समाज सुधारक के रूप जाना जाता है।
संत रामपाल जी महाराज जी के उद्देश्य
समाज में व्याप्त कुरीतियों का समूल नाश करना।
दहेज प्रथा, मुत्युभोज, भ्रूण हत्या, छुआछूत, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार आदि से मुक्त समाज का निर्माण करना है।
नशा मुक्त भारत बनाना। समाज में मानव धर्म का प्रचार, भ्रूण हत्या पूर्ण रूप से बंद करना ।
छुआ-छूत रहित समाज का निर्माण ।
समाज से पाखंडवाद को खत्म करना।
भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण करना।
समाज से जाति-पाति के भेद को मिटाना।
समाज से हर प्रकार के नशे को दूर करना।
समाज में शांति व भाईचारा स्थापित करना।
विश्व को सतभक्ति देकर मोक्ष प्रदान करना।
युवाओं में नैतिक और आध्यात्मिक जागृति लाना
समाज से दहेज रूपी कुरीति को जड़ से खत्म करना
सामाजिक बुराईयों को समाप्त करके स्वच्छ समाज तैयार करना
समस्त धार्मिक ग्रंथों के प्रमाण के आधार पर शास्त्र अनुकूल साधना समाज को देना ।