रहमत, मगफिरत और गुनाहों से निजात का दूसरा नाम है रमज़ान : सरताज मंजिल
जबलपुर दर्पण। शुरू हो रहा रमजान का पवित्र माह इस अवसर पर भाजपा युवा नेता मास्टर सरताज मंजिल ने बताया के रमजान गुनाहगारों के लिए अल्लाह का नायाब तोहफा है, इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से नौमां महीना रमजान का बहोत ही पाक व मुकद्दस होता है, इस पूरे महीने के दौरान सभी मुसलमान अल्लाह की इबादत करते और रोजे रखते हैं, इस दौरान लोग दिल, दिमाग व शरीर को पाक साफ रखकर रोजा रखते हैं, साथ ही रमज़ान का महीना मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, रमज़ान के तीस रोज़ों में 10-10 रोज़ों के तीन अशरे होते हैं पहला आशरा रहमत यानी अल्लाह के रहम का होता है, दूसरा आशरा मग़फ़िरत यानी गुनाहों की माफी का होता है, और तीसरा आशरा निजात यानी जहन्नम की आग से खुद को बचाने का होता है, आखरी अशरे की पांच ताक रातों में से किसी एक रात में शबे कद्र होती है जो हजार महीनों से बेहतर होती है, इन तीन अशरों में पाबंदी से रोज़े रखना, नमाज पढ़ना, जिक्र अज़कार करना, कुरआन की तिलावत करना, हर तरह के गुनाहों से बचने का अहद करते हुए अल्लाह से अपने किये पिछले गुनाहों की माफी मांगना ही अल्लाह की बारगाह में सच्ची इबादत मानी जाती है, इस रमज़ान भी नमाज और इबादत करके अल्लाह से अपने प्यारे देश भारत की प्रगति एवं आपसी सद्भभावना के लिए दुआओं का यह सिलसिला जारी रखते हुए सबको आमदे रमज़ान की दिली मुबारकबाद ।।