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अतिथि विद्वानों के भी ‘‘मन की बात’’ सुनो मुख्यमंत्री शिवराज निभाएं अपना वादा, विद्वानों को करें नियमित

जबलपुर दर्पण । भोपाल जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे ही सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा देने वालें महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों ने अपने नियमितीकरण भविष्य सुरक्षित की मांग तेज कर दी है इसी तारतम्य में संस्कार राजधानी जबलपुर में प्रदेश स्तरी मीटिंग कर बड़ी प्रेसवार्ता महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान नियमितीकरण संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले हुई। जैसा कि विदित है कि प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में अल्प मानदेय एवं अनिश्चित भविष्य के बावजूद लगातार सेवा अतिथि विद्वान दे रहे हैं और इन्हीं अतिथि विद्वानों के भरोसे ही महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन्हीं अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर सरकारें बनी और बिगड़ी थी, लेकिन अतिथि विद्वानों के नाम पर खूब सियासत हुई पर भविष्य सुरक्षित नहीं हुआ । जीतू पटवारी के नेतृत्व में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की नोटशीट तैयार की थी प्रक्रिया भी शुरु हो गई थी लेकिन सरकार ही गिर गई वहीं विपक्ष में रहते हुए उस समय के विपक्ष के नेता शिवराज सिंह चौहान सहित पूरी भाजपा अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर मुखर होकर नियमितीकरण का वादा की थी । अनुभव योग्यता दोनों फिर भी भविष्य सुरक्षित नहीं……….
मोर्चा की प्रदेश संयोजक डॉ.नीमा सिंह ने कहा कि अतिथि विद्वानों के पास 26 वर्षों का लंबा अनुभव है साथ ही यूजीसी की योग्यता भी पूरी करते है उसके बाद भी अतिथि विद्वानों को नियमित नहीं किया गया जो कि समझ से परे है । प्रवेश, परीक्षा, प्रबंधन, अध्यापन, मूल्यांकन, नैक, रुसा आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान हीकरते हैं फिर भी शासन प्रशासन अितथि विद्वानों को नजर अंदाज करता है जो कि बेहद दुर्भष्यपूर्ण है, वहीं मोर्चा के सदस्य डॉ.सुमित पासी ने बताया कि आज भी सैकड़ों अतिथि विद्वान सेवा से बाहर है, सरकार की गलत नीतियों के कारण फालेंन आउट अतिथि विद्वानों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है। सरकार को तत्काल बाहर हुए अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरु करनी चाहिए । अतिथि कोई 5 दिन 6 दिन रहता है यहां तो सरकार ने 25 वर्षो से अतिथि बनाकर रखा है, विपक्ष में रहते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सहित नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, वीडी शर्मा, सहित कई भाजपा दिग्गज अतिथि विद्वानों से नियमितीकरण का वादा किया था पर सत्ता पाते ही भूल गए, साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर सड़क में उतरे थे अब वो क्यों नहीं उतर रहे है। 14 से 15 लाख युवाओं का नेतृत्व अतिथि विद्वान कर रहे है हल्के में न ले सरकार। सरकार अगर वादा खिलाफी करती है तो आगामी समय में पूरे प्रदेश में व्यापक रुप से प्रदर्शन किया जाएगा ।

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