मण्डला दर्पणमध्य प्रदेश

निवास जिला अब भी नहीं,शासन की उदासीनता या राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव

आखिर ‘निवास ” के साथ भेद-भाव क्यों

यह वही “निवास” है जिसने संसदीय सचिव, मंत्री,केंद्रीय मंत्री, सरकार को दिये

आगामी चुनाव में जिला बनाओ और नर्मदा जल लाओ हो सकता है निवास विधानसभा का अहम् मुद्दा

मण्डला दर्पण। मध्यप्रदेश गठन के 50 वर्षो से अधिक बीते पूर्व ब्रिटिश शासन कालीन अंग्रेज शासकों ने निवास ग्राम को तहसील के लिये चुना,वर्तमान में 5 विकास खण्डों की जिम्मेदारी निभा रही निवास तहसील अविभाजित मध्यप्रदेश (छत्तीसगढ़) की झाबुआ तहसील के बाद सबसे बड़ी तहसील थी।एक छोर से दूसरे छोर की दूरी लगभग 120 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली हुई थी।अंग्रेजों के जमाने यानी सन् 1904 की प्रस्तावित तहसील दस साल बाद “निवास” 1914 में कार्यभार में आई।वहीं तहसील भवन का निर्माण मिट्टी,गारा और विशेष तकनीक से सुंदर भवन का निर्माण उन्होंने कराया भी। वृहद् क्षेत्रफल में संचालित होने बाली इस तहसील में मुल्जिमों के लिये जेल, मालखाना,अधिकारियों के लिए उच्च आरामदायक बैठक के साथ न्यायलयीन प्रक्रिया भी आरम्भ हुई।
वक्त बीतता गया। मध्यप्रदेश का गठन हो गया। “निवास” विधानसभा से पंचवर्षीय कार्यकाल पर जनप्रतिनिधि भी चुनते गये-आदिवासी बाहुल्यता वाले क्षेत्र में यह सीट आरक्षित थी जो आज भी है। वक्त तेजी से बदलता रहा। 1998 में मंडला से डिंडोरी तहसील को जिला बनाते हुए निवास,शहपुरा, मेंहदवानी,बीजाडांडी, नारायणगंज इस तरह पाँच विकास खंडों की वृहद तहसील को तोड़कर शहपुरा और मेंहदवानी क्षेत्र की जनता को सुलभता से न्याय दिलाने निवास तक लंबी दूरी को दृष्टिगत रखते हुये दोनों को निवास से अलग कर डिंडोरी जिले की शहपुरा उपतहसील को तहसील का दर्जा दे दिया गया। “निवास” ने जिले की आस ही आस के चलते इस विखंडन पर विरोध भी नहीं किया।परिणाम स्वरूप इन्हीं विषयों को आधार मानकर नारायणगंज को भी तहसील का अधिकार पूर्ण रूप से मिला गया। देखते ही देखते पांच विकास खंडों की तहसील एक मात्र विकास खंड “निवास” की रह गई। विखंडन का विरोध तो नहीं हुआ पर “निवास” जिले की माँग 4 दशक से लगातार जारी है।1984 में निवास सहित 27 तहसीलों को जिला बनाये जाने मध्यप्रदेश विधानसभा में मुद्दा उठा।अनेक तहसीलें जिला बन भी गईं पर “निवास” की सुध किसी नेता, जनप्रतिनिधि ने नही ली। आखिर ‘निवास ” के साथ इस तरह का भेद-भाव क्यों? यह वही “निवास” है जिसने मध्यप्रदेश सरकार को संसदीय सचिव दिये, मंत्री दिये,केंद्रीय मंत्री दिये,भारत को सशक्त करने नासा को वैज्ञानिक भी दिये हैं।

निवास के विखंडन का जबावदार कौन ?-

  आज निवास के विखंडन का जबावदार कौन? क्योंकि निवास का जो विखंडन हुआ उससे आज निवास विकास की दृष्टि में प्रदेश के सबसे नीचे पायदान में जाकर  खड़ा हो गया है। क्योंकि अब निवास तहसील में एकमात्र विकास खण्ड ही शेष बचकर रह गया है। 

निवास जिले की माँग पर कुलस्ते बंधु का अव्यवहारिक कहना ?-

निवास को जिले की मांग के संबंध में पूछे जाने पर पच्चीस वर्षों से राजनीतिक गलियारों पर कब्जा जमाए हुए वर्तमान में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का कहना है,कि निवास को जिला बनाना व्यवहारिक नहीं है? जिससे क्षेत्र की जनता में भारी आक्रोश पनपते देखने को मिल रहा है,और तरह तरह की चर्चा का दौर निवास विधानसभा क्षेत्र में जारी है।वहीं पर निवास को जिला बनाओ संघर्ष समिति के संघर्षशील पदाधिकारियों का कहना है, कि कुलस्ते जी का निवास गृह ग्राम होने के चलते वे यहां की जनता ने भरोसा जताकर लगभग पांच पंचवर्षीय बर्षीय चुनावों में विजयश्री दिलाते गये। जिससे वे विधायक,सांसद, संसदीय सचिव से केंद्रीय मंत्री तक की ऊंचाइयों पर पहुंच चुके। बावजूद इसके क्षेत्र का विकास शून्य रहा।साथ ही यह उनके द्वारा बक्तव्य देना क्षेत्र की भगवान समान जनता जनार्दन के साथ विश्वासघात कहा जा रहा है।

विपक्ष विधायक ने मुद्दे को गंभीरता से लिया-

निवास को जिला बनाये जाने के मुद्दे को विपक्ष के विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने गंभीरता से लिया है।जन आंदोलन को ओर गति भी दी है।उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा तक भी पहुंचाकर क्षेत्रीय जनमानस का दिल भी जीतने की कोशिश की है। निवास जिला बनाओ संघर्ष समिति,रेवा जल मांग की मजबूत टीम हाल ही में जेवरा ग्राम में हुए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के विशाल कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक का सहयोग लेकर मुख्यमंत्री से भेंट कर स्मरण पत्र भी सौपा है। निवास विधानसभा से कांग्रेस विधायक डॉ मर्सकोले का सम्मेलन में अपनी उपस्थिति जनमाँग के अनुरूप दर्ज कराकर यह संदेश दिया कि वे क्षेत्र की जनता के हर सुख दुख में साथ हैं।

जिला बनाओं संघर्ष समिति का आरोप-

 लाड़ली बहना योजना सम्मेलन के लिए पहले निवास में स्थान चयनित किया गया था, किन्तु क्या बजह है, कि अभाव जैसे बहाने  बनाकर मंत्री जी अपने ही गृह ग्राम जेवरा में आयोजन को संपन्न करा लिया। कहीं जिला बनाओ संघर्ष समिति के विरोध से बचने यह कार्यक्रम निवास निरस्त कर जेवरा में तो नहीं करा लिया गया? जिससे यह स्पष्ट होता है,कि राजनीतिक इच्छाशक्ति में भारी कमियों के कारण ही आज निवास जैसा बड़ा भूभाग वाला क्षेत्र धीरे धीरे जिले का दर्जा पाने की उपेक्षित होता जा रहा है।

वायरल वीडियो काफी सुर्खिया में-

जेवरा (देवरी) लाड़ली बहना सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे मुख्यमंत्री को निवास भाजपा के नेतागण ने ज्ञापन देने के लिए मुलाकात की।उसी समय भाजपा के निवास के ही कद्दावर नेता द्वारा मुख्यमंत्री जी से दबी जुबान में यह कहा गया। निवास को जिला नहीं सिविल अस्पताल चाहिए? जिसका वायरल बाडियो इस समय सुर्खियों में है। वहीं जनता का कहना है, कि अगर जिला बन जाता है, तो सिविल अस्पताल बन ही जाता पर यह कहना कि हमें जिला नहीं चाहिए यह सत्तारूढ़ पार्टी के जिम्मेदार क्षेत्रीय पदाधिकारियों को शोभा नहीं देता। ऐसी परिस्थितियों में देखना यह है,कि आगामी विधानसभा चुनावों में अगला दावेदार निवास विधानसभा से कौन होगा? जो अपने राजनैतिक भविष्य को दांव पर लगायेगा? क्या श्री कुलस्ते स्वयं निवास विधानसभा से चुनाव में भाग्य आजमा सकते है ? पूर्व में प्रकाशित खबर के मुताबिक श्री कुलस्ते ने निवास जिले के लिये अपना पूरा सहयोग देने का करार किया था।लगता है, आज अपने बढ़ चुके कद के साथ ही उनका विचार भी बदल गया है। समाचार जो उन दिनों अखबारों में प्रकाशित हुआ। आज सोशल मीडिया में देखा जा रहा है ।

आइए जानते हैं आम जनता की राय-

निश्चित तौर पर निवास क्षेत्र में नर्मदा जी का जल लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से पहुंचाये जाने फाइल शासन के पास है। आने वाले समय में वह स्वीकृत हो जाएगी। जिला बन जाए तो सोना में सुहागा ही होगा ।

जगत मरावी
सदस्य जिला पंचायत

निवास जिला और नर्मदा जल निवास क्षेत्र की प्रमुख मांगें हैं। इन मांगों के पूर्ण होने से निवास सहित संपूर्ण क्षेत्र भी उन्नत एवं खुशहाल हो जायेगा लेकिन दुःख की बात है,कि शासन द्वारा निवास क्षेत्र के साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है।

दुर्गेश कुशवाहा
“अधिवक्ता” निवास

निवास का कितना बड़ा दुर्भाग्य है,कि सांसद महोदय उनके भाई 15 साल विधायक रहे 30 साल से कुलस्ते जी भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता केंद्र में मंत्री होने के बावजूद निवास को यह दोनों उपलब्धियां आज तक ना मिल पाना खेद जनक है। हमारे प्रतिनिधि निवास के लिए कब सोचेंगे,आज की स्थिति में 1904 की तहसील निवास जिला हो चुकी होती,अगर हमारी सरकार मध्यप्रदेश में बनती तो हमारी दो मांगें प्रमुखता से उठाई जाएंगी। निवास को जिला बनाया जाए और मां नर्मदा का जल निवास क्षेत्र को मिलना चाहिए।

अशोक बड़गैया
कांग्रेस पार्टी,निवास

शहडोल एक जिले को विभाजित कर तीन जिले उमरिया,अनूपपुर और शहडोल बना दिए गए हैं, और तीनों जिलों को मिलाकर पूर्व जिला शहडोल को संभाग का बड़ा दर्जा देना ही शहडोल का विकास है। इसी तरह तीनों तहसीलों को मिलाकर निवास को जिला बनाया जा सकता है।प्रशासन ने नक्शे में निवास को जिला बना भी दिया है, लेकिन जिला के समर्थन में पत्र लिखने वाले नेताओं को अब ना मालूम क्यों यह जन मांग अव्यवहारिक लगने लगी है?

प्रदीप जैन
भाजपा, निवास

निवास विखंडन से निवास की उपेक्षा हुई है। जिसकी भरपाई जिला बनाकर की जा सकती है। साथ ही यहां का अधिकांश क्षेत्र असिंचित है, पानी के लिए लोग हमेशा तरसते आ रहे हैं इसलिए नर्मदा जल पहुंचना अति आवश्यक है।

सदन साहू
व्यापारी, निवास

निवास तहसील का उदय हुआ ब्रिटिश शासन के द्वारा सन 1904 में। तब से लेकर लगभग 120 सालों से आज तक निवास सिर्फ तहसील ही बनकर रह गया।जबकि बाद वाली तहसीलें जिला बन गईं।जबकि डिंडोरी जिला बनने से पहले निवास तहसील में पांच विकासखंड थे निवास नारायणगंज बीजाडांडी शाहपुरा और मेंहदवानी। निवास तहसील को जिला बनाने के लिए 1984 में प्रस्तावित भी किया जा चुका था,लेकिन निवास जिला नहीं बन सका यह निवास तहसील और निवास क्षेत्र की जनता का दुर्भाग्य है।देखिए सन 1984 में जितने भी तहसील मुख्यालयों को जिला बनाने के लिए प्रस्तावित किया गया था। उनमें से निवास और बीना को छोड़कर सभी तहसीलों को जिला बना दिया गया,और उन तहसीलों को भी जिला बना दिया गया है,जो निवास के बाद में तहसील बनी थीं। निवास के जिला बनने से निवास में रोजगार व्यवसाय और क्षेत्र की जनता को सरकारी कामकाज में राहत मिलेगी।

नरेंद्र परस्ते
ब्लाक अध्यक्ष आम आदमी पार्टी
निवास

मान.सांसद और वर्तमान मंत्री फग्गनसिंह के राजनीतिक काल में निवास तहसील का जिस तरह से विखंडन हुआ है, वह बेहद शर्मनाक है मंत्रीजी को निवास की जनता की आवाज सुनना चाहिये। साथ ही माँ नर्मदा का जल निवास क्षेत्र पहुँचाकर किसानों से न्याय और प्यासी जनता का आशीर्वाद लेना चाहिये।

उदय सिंह चौधरी
जिलाध्यक्ष बीएसपी, निवास

deepak Jat

MANDLA JILA BUREAU DEEPAK SINGH JAT

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page