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सोनीपत के लीलाराम के बुढ़ापे का सहारा बनी सांरगी

जबलपुर दर्पण। सारंगी वादक व विक्रेता लीलाराम फिर टकरा गए। विकास की ओर बढ़ते शहर के शोर में सारंगी की आवाज़ मधुर, सुरीली और सुकून दायक लगी। नए ज़माने के इलेक्ट्रॉनिक साजों के बीच पारम्परिक सारंगी की आवाज़ सड़क से गुजरने वालों के लिए अचरज की बात है। आज की पीढ़ी अपने इस शास्त्रीय वाद्य को भूलने लगी है।
मूलतः सोनीपत के लीलाराम अब बुढ़ापे में बेबस हो गए। शहर में यहां वहां घूम कर सारंगी बेचना उनके लिए दुष्कर हो गया। एक जगह बैठ कर सारंगी बजाते हुए लोगों का ध्यान आकृष्ट करते रहते हैं। अब सारंगी के लिए कच्चा माल बाहर से लाने की समस्या है। सारंगी में प्रयुक्त होने वाला कुल्लड़ तो स्थानीय तौर पर उपलब्ध है लेकिन सारंगी का तार व बजाने वाला बो या गज की रस्सी को वह स्वयं नागपुर जा कर लाते हैं। जबलपुर के कटियाघाट में रहने वाले लीलाराम प्रयुक्त होने वाले कच्चा माल के महंगा होने के बावजूद भी सारंगी को अत्यंत सस्ती कीमत या लागत मूल्य पर बेचते हैं।
लीलाराम का सम्पर्क नंबर चाहा था। उनका मोबाइल नंबर है-9981817970

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