एक ही समाज के कारीगर 16 बंग प्रतिमाओं का निर्माण कर रहें
जबलपुर दर्पण। बाहुते तूमी माँ शक्ति, हृदय तू माँ भक्ति, तोमारी प्रतिमा गड़ी मंदिरे मंदिरे, माता के बाजुओं में शक्ति का रुप एवं हृदय में भक्ति रुप ऐसी ही प्रतिमा बनाएं हर मंदिर में महाभारतकाल में भीष्म पीतामह प्रकरण में शक्ति पूजा के रुप में माँ दुर्गा पूजा का वर्णन पाया जाता है, वहीं दूसरी ओर भगवान श्रीराम द्वारा लंका विजय के समय माता सीता को छुड़ाकर लाने पर आदि शक्ति की पूजा की गई। वह बसंत ऋतु होने के कारण चैत्र माह की पूजा को प्रचलन अनुसार बासंती दुर्गा पूजा कहा जाता है,बंगाल की पूजा 2 पद्धति से किया जाता है, गुप्ते प्रेस पंजिका, विशुद्ध सिद्धांत मत अनुसार, उसी तर्ज पर जबलपुर में सन् 1880 गलगला स्थित दत्त साहेब के बाड़े में स्व.बाबू अंबिका चरण बैनर्जी द्वारा किया गया अंबिका बाबू को इसलिए ‘‘काली बाबू’’ के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त हुई, कालांतर में नगर पालिका निगम के तात्कालिक प्रथम अध्यक्ष बैरिस्टर स्व.प्रभात चंद्र बोस एवं सचिव स्व.बाबू अंबिका चरण बैनर्जी ने मढ़ाताल के चारों ओर सभी धर्मों के संस्थाओं का धार्मिक, सांस्कृतिक गतिविधियों के संचालन हेतु भूंखड उपलब्ध करवाया गया, जिसमें बंग समुदाय को करमचंद चौक के दोनों ओर के सड़कों पर सन 1923 में भूखंड प्राप्त हुआ, जिसके पश्चात यही प्रथम दुर्गा पूजा सिटी बंगाली क्लब बाद में परिवर्तित नाम सिद्धिबाला बोस (स्व.पीसी बोस की पत्नी के नाम) लाइब्रेरी एसोसिएशन के नाम पर किया गया, यही पर आज तक दुर्गा पूजा हो रही है इसका ९८ वाँ वर्ष है समय अनुसार जबलपुर में केंद्रीय कार्यालय खुलते गए, रक्षा संस्थानों में बंग भाषियों का आगमन प्रारंभ हुआ जिससे नगर एवं उपनगरीय क्षेत्रों में कुल २१ जगहों पर बंग समुदाय द्वारा शारदीय दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है (पितृ मोक्ष अमावस्या) के दूसरे दिन सभी बंग पंडालों में बेल वृक्ष के नीचे कल्पारंभ से बैठकी प्रारंभ होती है लेकिन मुख्य रूप से षष्ठी से दसवीं तक पूजा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न होते है, जिसमें कोलकाता के कलाकार एवं 40 ढाकिए आते है, दुर्गा मूर्ति का निर्माण कई वर्षो से स्व.शंभू पाल के परिवार के लोग बना रहे है, जोकि विगत 50 वर्षों से आ रहे है, इस वर्ष भी इसी परिवार के पारितोष, मनतोष एवं तारक पाल द्वारा जबलपुर की 21 बंग प्रतिमाओं में से 16 प्रतिमाएं यहीं लोग बना रहे है, वर्तमान में 21 संस्थाएं बंगाल की विधि के अनुसार पूजा आयोजित कर रहे हैं,98 वर्षो से सिटी बंगाली क्लब (एसबीबीएलए), 82 वर्षो से देवेंद्र बंगाली क्लब (जीसीएफ), 79 वर्षो से दुर्गाउत्सव समिति (माचा) घमापुर, ७९ वर्षो से बंगीय आनंद परिषद (वैस्टलेंड) खमरिया, 73 वर्षो से कालीबाड़ी क्याू टाईप खमरिया, 66 वर्ष से पीएंडटी कालोनी टेलीग्राफ र्क्वाटर, 59 वर्ष से दुर्गोत्सव समिति बंगाली कालोनी रांझी, 57 वर्ष से स्टेशन दुर्गा पूजा समिति वैंâट सदर, 56 वर्ष से रामकृष्ण आश्रम घमापुर, 55 वर्ष से दुर्गा पूजा समिति व्हीकल पैâक्ट्री, 49 वर्ष से दुर्गा पूजा समिति टाईप 2 खमरिया, 49 वर्ष से बंगाली काली बाड़ी समिति प्रेमनगर, 43 वर्ष से बंगीय सांस्कृतिक परिषद चंदन कालोनी रांझी, 40 वर्ष से रेलवे कर्मचारी दुर्गा पूजा समिति, 39 वर्ष से काली बाड़ी रांझी, 34 वर्ष से दुर्गा पूजा समिति अग्रवाल कालोनी, 25 वर्ष से दुर्गा पूजा समिति सुभाषनगर, महाराजपुर आधारताल।