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मूर्तिकारों का व्यापार ठप्प, 2,000 से अधिक परिवारों पर आर्थिक संकट।

संभागीय मूर्तिकार एवं हस्तकला संघ जबलपुर संभाग ने उठाई आवाज।

जबलपुर। प्रतिवर्ष के अनुसार वे लोग इस वर्ष भी विगत कई माह से लगातार मेहनत करके हजारों छोटी बड़ी मूर्तियां तैयार करते थे। इन मूर्तियों के बदले समाज से जो सहयोग राशि (मूर्तियों का दाम) प्राप्त होता था। उससे उनका साल भर का पारिवारिक खर्च चल जाता था। लेकिन इस बार कोरोनावायरस की महामारी के चलते आगामी तमाम त्योहारों को मनाने के अब तक चले आए परंपरागत तरीकों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यही वजह है कि संभाग के सभी मूर्ति कारों और उनके परिवारों की चिंता अपने चरम पर है। उनके सामने एक ऐसा आर्थिक संकट सामने खड़ा हुआ है जिसका कोई उपाय उन्हें नहीं सूझ रहा है। आने वाला साल किस प्रकार गुजरेगा इसकी चिंता उन्हें खाए जा रही है। ऐसी तमाम चिंताओं को लेकर संभागीय मूर्तिकार एवं हस्तकला संघ के जबलपुर संभाग ने डिप्टी कलेक्टर हर्ष दीक्षित को ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने इस बात की मांग की है कि उनकी समस्याओं पर न केवल ध्यान दिया जाए बल्कि उनके निदान के संबंध में शीघ्र विचार किया जाए। प्रशासन मूर्तियों को खरीदने और बेचने के संबंध में भी कुछ ऐसी गाइडलाइन तैयार करें जिससे कि उनका व्यापार भी चलता रहे और कोरोना का संकट भी दूर रहे। इस वक्त दो हजार से ज्यादा परिवारों के सामने पारिवारिक भरण पोषण का संकट खड़ा हुआ है। बड़ी मूर्तियों के विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है जिससे ये परिवार भूखों मरने की कगार पर आ गए हैं। अतः प्रशासन से अनुरोध है कि कोरोनावायरस के प्रोटोकॉल के तहत मास्क, सेनेटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग के तहत आगामी त्योहारों को परंपरागत तरीके से मनाया जाने की अनुमति प्रदान करें। इस अवसर पर अध्यक्ष सीताराम सेन,संतोष मूर्तिकार, विक्रम मूर्तिकार, राकेश मूर्तिकार, शक्ति प्रजापति, सूरज मूर्तिकार ,गोविंद मूर्तिकार, अनिल मूर्तिकार, मूर्तिकार दुर्गा,अरविंद मूर्तिकार शिवचरण मूर्तिकार, विजय मूर्तिकार, कालीचरण ,धनराज, नंदकिशोर, रामू, राजकिशोर,सचिन एवं जबलपुर के सभी मूर्तिकार बंधु उपस्थित रहे।

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