किसानों के सषक्तीकरण कानून का विरोध औचित्यहीन
नई दिल्ली।भगवान विष्वकर्मा जयंती एवं देष के यषस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्म दिवस पर लोकसभा ने देष के किसानों को सषक्तीकरण हेतु उनकी आय को बढ़ाने के लिये जो दो कानून बनाये हैं, वह किसानों के लिये वरदान साबित होंगे। पहला कानून है – किसान अपनी फसल साग, सब्जी, दूध, मत्स जिसका अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिये अब इलेक्ट्रानिक तरीके से पता लगाकर कहीं भी ले जाकर बेचने के लिये स्वतंत्र होगा। दूसरा कानून किसान बोनी से लेकर फसल आने तक तथा बर्बादी से फसल को बचाने के लिये अनुबंध करके अपनी नुकसानी से बच सकने का अधिकार मिलेगा, ये दोनो कानून बनने के बाद कृषि क्षेत्र में निवेष बढ़ेगा, जैसे शीत भण्डार, गोदाम, नई तकनीक अधिक दाम में फसल की विक्रय का रास्ता खुल जायेगा।इन दोनो कानून से न तो मण्डी बंद होगी और न ही सरकार की एम.एस.पी. में खरीदी बंद होगी। ये दोनो पूर्णतः चलेगी।किसान को अपनी फसल ऊॅंचे दाम में बेचने की स्वतंत्रता होगी।अभी मण्डियों में बोली के आधार पर फसल घोषित समर्थन मूल्य से कम भाव में भी बेचने के लिये मजबूर होना पड़ता है। एक बार किसान यदि मण्डी में अपना अनाज लेकर आ गया तो दाम चाहे कम मिले वापस नही ले जा पाता है।देष की कई ऐसी बाजारें हैं, जहाॅं पर फसल का दाम औसतन ज्यादा रहता है, लेकिन उसका लाभ पूरे देष का किसान नही उठा पाता था, अब रास्ता सभी के लिये खुल गया।इन कानूनों के आने के बाद किसान बर्बाद हो जायेगा ऐसा भ्रम जानबूझ कर फैलाया जा रहा है।स्वामीनाथन आयोग ने जो षिफारिस किसानों के हित में किया था, उनमें से 200 से अधिक षिफारिस श्री मोदी जी की सरकार ने मान लिया। पहलीबार देष की सरकार का मुख्य मुद्दा कृषि और किसान बन गया। पहले इस सदन में हम लोग प्राकृतिक आपदा में किसानों की मदद के लिये मांग करते थे, अब किसान की फसल का समर्थन मूल्य लागत खर्च से डेढ़ गुना हो गया और हर वर्ष उसकी दर बढ़ती जा रही है। फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि, हर फसल की खरीदी, मृदा परीक्षण, सस्ते दर में कर्ज की अदायगी, फसल का अधिक दाम मिले, ये सारे काम श्री मोदी जी की सरकार ने कर दिया।देश में फूड प्रोसेसिंग के कारखाने स्थापित हो ताकि किसान के कच्चे सामान को अधिक लाभ मिल सके।किसान की सबसे बड़ी समस्या सिचाई का पानी, बिजली, प्राकृतिक आपदा में मदद, फसल का उचित दाम, सस्ते व्याज पर कृषि ऋण, ये सारे काम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कर दिया तथा कृषि क्षेत्र के लिये 1.35 लाख करोड़ का बजट भी तय कर दिया। पहले कृषि का बजट मात्र 14000 करोड़ होता था, अब कोरोना महामारी के समय 1 लाख करोड़ से अधिक का आर्थिक पैकेज कृषि क्षेत्र को देकर प्रधानमंत्री जी ने यह साबित कर दिया कि सरकार की प्राथमिकता में कृषि सबसे ऊपर है।देष आत्म निर्भर बनाना है तो कृषि क्षेत्र को तथा किसान को भी नये तौर तरीके स्वीकार करना होगा। देष में 85 फीसदी किसान 2 एकड़ से कम के खेती वाले हैं, उनकी आमदनी दो गुना करना सरकार का संकल्प है, इसलिये नये अवसर, फसल का अधिक दाम मिले यह प्रयास सरकार ने किया है।अभी प्याज, टमाटर, फल, सब्जी, दूध, मांस, सभी का उत्पादन ज्यादा होने पर फेंकना पड़ता है, लेकिन अब ऐसा नही होगा, सभी को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जायेगी, और किसान को अच्छा भाव मिल सके।