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संजय गांधी अस्पताल से कहीं बेहतर होगा नर्क!

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मेडिकल स्टाफ सहित सुरक्षा गार्ड यहां बन गए भगवान
रीवा दर्पण। मध्य प्रदेश के हृदय स्थल में विंध्य प्रदेश बसा हुआ है। कांग्रेस शासनकाल में विंध्य वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से संजय गांधी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की सौगात नसीब हुई थी, विंध्य पुरोधा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने सीधी जिले के लिए स्वीकृत संजय गांधी अस्पताल की सौगात को रीवा की झोली में डाल दिया। दिग्विजय सरकार की विदाई के उपरांत भाजपा ने सत्ता का सिंहासन संभाला। पंद्रह साल तक भाजपा सरकार में रीवा की साझेदारी रहने के बाद भी संजय गांधी अस्पताल के अच्छे दिन नहीं आ पाए। भाजपा शासनकाल के दौरान ही मध्य प्रदेश के सागर संभाग में नया मेडिकल कॉलेज खोला गया, सोची समझी साजिश के तहत संजय गांधी अस्पताल रीवा में पदस्थ विशेषज्ञ डाक्टरों को हटाकर सागर के नये मेडिकल कॉलेज में पहुंचा दिया गया। धीरे-धीरे संजय गांधी अस्पताल में विशेषज्ञो का महासंकट कायम हो गया। इसके पीछे भाजपा सरकार की बेरुखी व्यवस्था पर भारी पड़ी है। लगातार मध्य प्रदेश सरकार ने विंध्य प्रदेश के संजय गांधी अस्पताल को नजरंदाज किया, जिसके कारण दिन ब दिन व्यवस्थाएं जमींदोज होने लगी। वर्तमान समय मरीजों और उनके परिजनों के लिहाज से बहुत ज्यादा खराब हो चुका है। दिखावे का अस्पताल प्रबंधन होने की वजह से संजय गांधी अस्पताल का मेडिकल स्टाफ और सुरक्षा गार्ड अपने आपको भगवान समझने लगा है। मरीजों के परेशान परिजनों से विवाद करना दोनों की फितरत बन गई है। विंध्य वासी अब तो मुखर होकर यह कहने लगे हैं कि संजय गांधी अस्पताल से कहीं बेहतर नर्क लोक के हालात होंगे?

विवाद का अखाड़ा बना संजय गांधी अस्पताल
संजय गांधी अस्पताल में प्रबंधन होने के बाद भी व्यवस्था नाम की कोई चीज दूर दूर तक नजर नहीं आती है। आए दिन यहां पर मरीजों के परिजनों से विवाद की घटनाएं सामने आती रहती हैं। यहां पर सबसे ज्यादा बेलगाम मेडिकल स्टाफ और सुरक्षा गार्ड हो गये हैं। निरंतर घटनाएं सामने आने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन किसी तरह का सुधार नहीं कर पाया है। गरीब और साधारण मरीजों को यहां पर सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। बेलगाम मेडिकल स्टाफ और लापरवाह सुरक्षा गार्ड ने संजय गांधी अस्पताल को विवाद का अखाड़ा बना दिया है।

तड़पते रहते हैं भर्ती मरीज, कोई सुनवाई नहीं
बड़ी उम्मीदों के साथ विंध्य प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय संजय गांधी अस्पताल उपचार कराने आने वाले लोगों को मरीज के एडमिट होने के उपरांत ही बदहाल व्यवस्था का परस्पर आभास होता है। संजय गांधी अस्पताल के अलग-अलग विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों को अक्सर तड़पते हुए देखा जाता है। बेंड में लेटा हुआ मरीज तड़पता रहता है, जिसे देखकर उसके परिजन वार्ड बॉय और ड्यूटी नर्स को इधर उधर खोजते रहते हैं। अक्सर मरीजों की विधिवत देखरेख ना होने के कारण वह असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। संजय गांधी अस्पताल में अधिकतर मरीज परस्पर उपचार न मिलने की वजह से दूसरी दुनिया में पहुंच रहे हैं?

भाजपा राज में संजय गांधी अस्पताल को फेल करने का षड्यंत्र?
दिग्विजय सिंह सरकार की विदाई होने के साथ ही भाजपा ने सत्ता का सिंहासन हासिल कर लिया। सुश्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और उसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री का दायित्व निभाया। लेकिन किसी एक ने भी विंध्य वासियों के लिए अति महत्वपूर्ण संजय गांधी अस्पताल के कायाकल्प करने के बारे में विचार तक करना आवश्यक नहीं समझा। भाजपा राज में दिन-ब-दिन संजय गांधी अस्पताल में अव्यवस्थाओं का दायरा विस्तारित होता गया। योग्य चिकित्सकों की विदाई करते हुए भाजपा सरकार ने मेडिकल कॉलेज सागर को व्यवस्थित कर दिया लेकिन संजय गांधी अस्पताल के हालात सुधारने के लिए किसी तरह की योजना नहीं बनाई गई। सरकार की सुनियोजित लापरवाही के कारण संजय गांधी अस्पताल के हालात बद से बदतर होते गए। कुल मिलाकर विंध्य के सबसे बड़े संजय गांधी अस्पताल को फेल करने का पूरा पर्यंत भाजपा शासनकाल में अंजाम दिया गया। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस सरकार की बड़ी उपलब्धियों में शुमार संजय गांधी अस्पताल को जानबूझकर घटिया राजनीति का सुनियोजित शिकार बनाया गया है। उपेक्षा के इस लंबे दौर के भी रणनीति के तहत विकास पुरुष ने अमहिया रोड पर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण करवा कर उसे विंध्य वासियों के लिए भाजपा सरकार की बड़ी उपलब्धि करार दिया है। भाजपा सरकार ने ही संजय गांधी अस्पताल को फेल साबित करते हुए अपना खुद का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा में तैयार किया है।

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