मुहर्रम की याद में परोसा गया लंगर बिना जुलूस के ही अल्लाह का चिंतन
मुसलमानों के लिए ईद हर्ष का त्योहार है, तो मुहर्रम विषाद का। इस्लामधर्म के अनुयायी अपने शहीदों की याद तरोताजा रखने के लिए इस त्योहार को बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं। इस्लामी इतिहास की सबसे दुःखद घटना की याद में वर्ष के पहले महीने की पहली तारीख से दसवीं तारीख तक मुहर्रम मनाया जाता है। इस घटना का संबंध इस्लामधर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद के नाती हजरत इमाम हुसैन के बलिदान से है।
हजरत हुसैन यद्यपि बहुत कम लोगों के साथ कर्बला के मैदान में घिर गए थे, उनके पास बहुत कम हथियार थे, उनके पास भोजन और पानी का प्रबंध नहीं था, तथापि वे असत्य और अन्याय के विरुद्ध पूरी शक्ति के साथ युद्ध करते रहे। उन्होंने यजीद को कभी अपना खलीफा नहीं स्वीकार किया, भले ही उन्हें बड़ी-से-बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी। इसलिए, यह पर्व उस आदर्श की याद दिलाता है, जिसमें मनुष्य के लिए उसके जीवन से बढ़कर उसके आदर्श की महत्ता है। मनुष्य पर चाहे विपत्तियों का पहाड़ ही क्यों न टूट पड़े, किंतु धर्म और सत्य के मार्ग से उसे विचलित नहीं होना चाहिए। अन्याय के सक्रिय विरोध का प्रतीक है- मुहर्रम ! यही कारण है कि मुहर्रम इस्लाम के इतिहास में अविस्मरणीय पर्व बन गया
इसी तर्ज पर पूरे देश-प्रदेश में मुहर्रम को हर्ष नही बल्कि विषाद का त्योहार मानते हुए तरह-तरह के कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है ।
शहडोल। सम्भागीय ब्यूरो अनिल लहँगीर।कोरोना के खतरे को देखते हुए देश के अलग-अलग राज्यों ने मुहर्रम को लेकर अपनी गाइडलाइन जारी किए है इन गाइडलाइन का मकसद जूलूस में होने वाली भीड़ को कम करना और कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकना है इन सब व्यवस्थाओ को देखते हुए किसी भी जुलूस या जलसे का आयोजन प्रतिबंधित है
यहाँ हुआ आयोजन।
स्थानीय अमलाई चौक बुढ़ार में मोहम्मद इश्तियाक खान एवं इम्तियाज खान के द्वारा मुहर्रम त्यौहार को देखते हुए हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी लंगर का आयोज किया गया जिसमें खिचड़ा व अन्य खाद्य सेवनो को परोसा गया
इस अवसर पर कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष आजाद बहादुर सिंह व अन्य प्रतिनिधि भी उनके सांथ उपस्थित रहे
बुढार नगरवासियों में एडवोकेट शेखर चौधरी एवं लालमन चौधरी केके पाठक मौजूद रहे ।
गाइडलाइंस के अनुरूप आयोजित हुआ लंगर-मुहर्रम में सरकारी गाइडलाइन के बीच कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए जूलूस और ताजिया पर रोक लगा दी गई। इस दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अमलाई चौराहे में हिन्द फर्नीचर के संचालक व समाजसेवियों ने मुहर्रम में बंटने लंगर में अपनी सहभागिता निभाई।