अतिथि शिक्षकों ने राजधानी सहित विधानसभावार फिर सौंपा ज्ञापन
मण्डला। प्रांतव्यापी आवाहन पर मंडला जिले के तीनों क्षेत्रीय विधायकों के निवास पहुंच कर अतिथि शिक्षकों ने 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन विधायकों का स्वागत सम्मान कर ज्ञापन सौंपा है। वर्षों से लंबित नियमितीकरण सहित तमाम बड़े मुद्दों का निराकरण कर अतिथि शिक्षकों को 62 वर्ष की आयु तक भरण पोषण काबिल उचित वेतन पर नियमित रोजगार देने की मांग ज्ञापन में मुख्य रूप से की गई है।
जिला अध्यक्ष अतिथि शिक्षक परिवार मंडला एवं अतिथि शिक्षक समन्वय समिति मध्यप्रदेश के संस्थापक पी.डी.खैरवार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है,कि जहां 5 सितंबर को एक ओर देश भर में शिक्षक दिवस को लेकर शिक्षकों के सम्मान में बड़े ही धूमधाम से उत्सव पूर्वक सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन जी की जयंती का माहौल था।जगह-जगह शिक्षकों का सम्मान किया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर चौदह वर्षों से भूखे पेट साल के आधे अधूरे समय शिक्षकीय काम पाकर वह भी हर साल काम से अलग कर दिये जाने के भय में जिंदगी गुजारने विवश प्रदेश के लाखों अतिथि शिक्षकों का प्रतिनिधि मंडल हाथ में गुलदस्ता लिए राजधानी में मुख्यमंत्री निवास सहित तमाम दबंग राजनेताओं के बंगले झांकते भूखे-प्यासे घंटों परेशान रहे। बावजूद कहीं पर उनको राहत नहीं मिली।विवश होकर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रमुख व्ही.डी.शर्मा एवं विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से मिलकर ज्ञापना सौपना पड़ा। जिन्होंने बात आगे बढ़ाने का आस्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया। इधर अतिथि शिक्षक विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों की चौखटें खटखटाते दर-दर भटकते नियमित रोजगार की भीख सा मांगते फिर रहे हैं। बावजूद इसके प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अतिथि शिक्षकों से भेंट के लिए दो मिनट का समय निकालकर दो फूलों का गुलदस्ता स्वीकार करना पसंद नहीं कर रहे हैं।
इसी तारतम्य में मंडला जिले के विधानसभा क्षेत्र बिछिया के क्षेत्रीय विधायक नारायण सिंह पट्टा के निज निवास घुघरी पहुंचकर अतिथि शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के नाम लिखा नियमितीकरण सहित तमाम मुद्दों से भरा ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में मांग की गई है,कि सभी कार्यानुभवी अतिथि शिक्षकों को नियमित रोजगार से लगा लिया जाये।उनके स्थान को निरंक न माना जाये,हिंदी,विज्ञान और अंग्रेजी विषय पढ़ाने अतिथि शिक्षकों की भर्ती करना बंद कर दिया गया है।जिसे चालू कर इन महत्वपूर्ण विषयों के लिए भी भर्ती की जाये। शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शिक्षकों की पद वृद्दि की जाये। चूंकि सभी कर्मचारियों को लाकडाउन अवधि का वेतन दिया गया है इसलिए कोविडकाल का मानदेय दिया जाये। स्कोर कार्ड संशोधन करने पोर्टल खोला जाये। गरीब और मध्यम वर्ग की शिक्षा विरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आड़ में दूर दराज के स्कूलों को बंद कर प्रायवेट करने या कारपोरेट पूंजीपतियों को बेचने से बचाया जाये। इत्यादि मांगों को जल्द माने जाने ज्ञापन सौंपा गया है। मांगें जल्द नहीं माने जाने पर प्रदेश व्यापी उग्र जनांदोलन के लिए विवश होने की भी बात कही है।जिसके लिए पूरी जिम्मेदारी शासन की होगी।
कांग्रेस कमेटी मंडला का जताया आभार,कहा काश!यही सुविचार उसी वक्त आ गया होता-जिला कांग्रेस कमेटी मंडला के द्वारा अतिथि शिक्षक परिवार मंडला का सम्मान शाल श्रीफल भेंटकर किया गया।जिसके बदले आभार भी व्यक्त किया गया और खेद जताते हुए कहा भी गया कि
यही सम्मान सत्ता में रहते नियमितीकरण का रोजगार देकर कर दिया होता तो आज प्रदेश में कांग्रेस के हाल बेहाल न हुए होते।डेढ़ साल तक सत्तासीन रहते कांग्रेस ने मुंह,आंख,कान बंद रख अतिथि शिक्षकों की कठिन तपस्या और जंगी संघर्ष को हल्के में लेने की भारी भूल की थी।जिसका फायदा उठाकर पीढ़ियों से कांग्रेसी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी से वरण कर लिया। राजधानी में लगातार तीन महीने से अतिथि शिक्षकों के अनिश्चितकालीन जन सत्याग्रह के दौरान टीकमगढ़ के कुड़ीला गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के मुद्दे को प्राथमिकता से लिया और बयां कर दिया कि वचन पत्र में तीन महीने के भीतर नियमित करने का वचन देने के बाद भी सरकार डेढ़ साल से लटकाकर रखी हुई है।यदि समय के साथ नियमितीकरण कर वचन पूरा नहीं किया गया तो ज्योतिरादित्य सिंधिया सड़कों पर उतरकर सरकार का विरोध करेगा। आखिर यही हुआ,सरकार गिराकर सिंधिया जी केंद्रीय मंत्री के पद पर सुशोभित हो तो गये और अतिथि शिक्षक बद से बदतर स्थिति पर पहुंच जिंदगी कीड़े-मकोड़े की तरह गुजारने विवश हो रहे हैं।
क्षेत्रीय ज्ञापन मौके पर अतिथि शिक्षक परिवार मंडला से अखिलेश बेंद्रे के नेतृत्व में शिव पूषाम,ईश्वर सोनवानी, दिनेश मरावी, रामकुमार मरावी, चिरोंजी यादव,गणेश परते,विजय मरावी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।