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दो वर्षों से भक्त भूले सतधारा पुरानी परंपरा

रमेश बर्मन सिहोरा कूम्ही सतधारा

हिरन नदी के सातधारा घाट में पुरानी परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन हजारों लोग स्नान कर कुंभेश्वर महादेव के दर्शन करने पिछले सदियों से पहुंचते थे। और मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध मेला मै पहुँचकर खिचड़ी और तिल के लड्डू लोग सौख के रूप में खाया करते थे। परंतु दो वर्षों से कोरोना के चलते प्रशासन मकर संक्रांति के मेला सहित सभी परंपरा को प्रतिबंध करदिया। जिससे हिरन नदी सतधारा घाट के पवित्र मंदिर स्थलों मैं लोग कम से कम पहुंचने लगे। हिरन नदी सतधारा घाट मै स्नान करना लोगों का बहुत कम हो गया है। हिरन नदी सतधारा घाट एक धार्मिक व पवित्र स्थान माना जाता है। सतधारा भूमि पर सप्तऋषि, कुम्भकऋषि नीलकंठ महाराज जैसे अनेक ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही है। सतधारा घाट पर आज भी दादरसिहुणी सहित सैकड़ों गांव के सिद्ध पुरुषपंडा अपने कुल देवताओं के साथ 40 किलोमीटर दूर से सतधारा घाट स्नान करने पहुंचते हैं। साधु संत और क्षेत्रीय महिला,पुरुष, बच्चे हिरन नदी में स्नान कर पुरानी परंपरा को निभाया। लोगों ने कुंभेश्वर महादेव मंदिर , सूर्यमंदिर शिद्दधमंदिर, बरगदछांव, शिवमंदिर और नीलकंठ आश्रम में विराजे सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना किया।

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