सीधी के पत्रकारों के साथ अशोभनीय व्यवहार करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग: कांग्रेस
जबलपुर दर्पण। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश प्रवक्ता टीकाराम कोष्टा ने कहा कि प्रजातंत्र की चौथे महत्वपूर्ण स्तंभ पत्रकार को सत्ता की चाटुकारता में लीन पुलिस द्वारा अर्धनग्न किया जाना निदनीय ही नहीं सभय समाज के लिए अशोभनीय भी है उपरोक्त घटना को लेकर प्रदेश के मुखिया ने पुलिस अधिकारियों को केवल लाइन अटैच करके उपरोक्त घटना की इतिश्री जैसा है और मध्य प्रदेश की पुलिस माननीयों की शान को बचाने के लिए इतनी आगे निकल गई है कि उसे दर्जनभर कथित पत्रकारों के कपड़े उतरवाने में भी शर्म नहीं आई। यह तो और भी शर्मनाक है कि कपड़े उतरवाकर फोटो बनवा कर पुलिस ही उसे कथित रूप से वायरल करवाए और फिर अपने बचाव में कहे कि उसने आरोपियों के कपड़े इसलिए उतरवाए ताकि वे आत्महत्या ना कर सकें। क्या उन्हें इतना अपमानित किया गया था या उन पर इतने अत्याचार किये गये थे कि पुलिस को उनके आत्महत्या कर लेने की आशंका हो गई? आत्महत्या से बचाने का यह नया और महान उपाय निश्चित रूप से पुलिस ट्रेनिंग कॉलेजों के कोर्स का हिस्सा होना चाहिए और इस पर सत्तासीन माननीयों को विचार करना चाहिए। ऐसा होने से ही कोई पत्रकार किसी भी सच को उजागर करने का कम से कम मप्र में तो दुस्साहस नहीं कर सकेगा। हाँ, एक बात और है कि घर-घर इस बात की ट्रेनिंग भी दी जा सकती है कि अगर बच्चों को आत्मघात से और अवसाद से बचाना है तो उनके कपड़ों से उन्हें वंचित रखा जाए। यकीनन जेट युग में पाषाण युग की यह कवायद सत्ता के मदांधों की मानसिकता भी परिचायक है।
क्या पुलिस को ऐसे राजनीतिक सोच का सौदागर बनना चाहिए? क्या कानून को को किसी माननीय की कथित शान को बचाने के लिए प्रताड़ना पर उतारू होना चाहिए? यह कृत्य अभिव्यक्ति, सर्जना और जन अधिकार पर एक संगठित हमला है ।सवाल है कि क्या पुलिस ने यह कृत्य करने के पहले कोई जांच की ? क्या उस वैज्ञानिक जांच में कोई तथ्य सामने आए या केवल एक विधायक को प्रभावित करने के लिए 10 कदम आगे जाकर मानवीय मूल्यों की हत्या कर प्रताड़ना पर उतारू हो गए।