आशीष जैन (उप-संपादक) जबलपुर दर्पण। इन दिनों मध्य प्रदेश चुनाव भी रंगों में रंगा हुआ नजर आ रहा है पंचायत स्तरीय चुनावों से लेकर नगरी निकाय के चुनावों का दौर चल रहा है। प्रदेश के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में चुनाव जीतने की होड़ लगी है। दोनों ही पार्टियां हर स्तर पर अपने और अपने प्रत्याशियों की के प्रचार प्रसार में कमी नहीं कर रही है पुराने समय में टेलीविजन और समाचार पत्र ही चुनाव प्रचार का माध्यम हुआ करते थे पर बढ़ती तकनीक और उपलब्धता के कारण आज हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल फोन मैं फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टि्वटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म प्लेटफॉर्मओं के माध्यम से प्रचार-प्रसार और सुगम एवं सहज हो गया है। 2014 के आम चुनाव से सोशल मीडिया प्लेटफार्म की भूमिका अति आवश्यक एवं अनिवार्य हो गई है। पहले कांग्रेस इन चीजों पर कम ध्यान देती थी पर राजनैतिक प्रतिस्पर्धा के चलते अब पार्टी मैं भी सोशल मीडिया गतिविधि उच्च स्तर की नजर आने लगी है और उसकी कार्यशैली में भी कसावट देखने मिल रही। कुछ महीनों पहले मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तीन साल पुरानी सोशल मीडिया टीम को भंग कर नई मीडिया समिति का गठन किया। जिसमें स्टेट मीडिया कॉर्डिनेटर के नये पद के साथ प्रदेश अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रवक्ता एवं अन्य पदाधिकारियों की की टीम बनाये गये हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस के इस बदलाव को कमलनाथ की चुनावी रणनीति का एक बड़ा हिस्सा मानकर देखा गया। पुरानी कमेटी को पदों से विश्राम देकर कमलनाथ ने युवा और योग्य लोगों की नई मीडिया टीम बनाकर बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। कांग्रेस मीडिया टीम के पुनर्गठन के पीछे दो ही ज़रूरी वजह सामने हो सकती है पहली वजह पुरानी टीम की बीजेपी नेताओं से यारी दोस्ती और दूसरी वजह विषयों पर कमजोर पकड़। चुनावी रणनीति के महारथी कमलनाथ ने एक ही झटके में दोनों समस्याओं से निजात पाते हुये बेहद आक्रामक और कुशल वक्ताओं के साथ प्रशिक्षित एवं इतिहास की जानकारी रखने वाले सोशल मीडिया विंग के पदाधिकारियों हाथ में कांग्रेस के प्रचार प्रसार की ज़िम्मेदारी सौंप दी है। कांग्रेस की नई मीडिया टीम बनने से बीजेपी को दोहरा नुक़सान हुआ है। पहला नुक़सान कि कांग्रेस में उसके जमाय प्यादे तितर-बितर हो गये हैं, वहीं दूसरा नुक़सान यह है कि अब बीजेपी प्रवक्ताओं की बोलती बंद कराने वाली विषय पर संपूर्ण जानकारी रखने बाली टीम कांग्रेस के पास मौजूद है। जो नई उमंग और उत्साह के साथ कार्य कर रही है। बहरहाल प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के एक निर्णय से कांग्रेश की सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रियता और तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता पंचायत एवं नगरी निकाय चुनाव में अत्याधिक लाभ पहुंचाने में मदद करें।
कांग्रेस आईटी सेल एवं सोशल मीडिया बिंग के पूर्व जबलपुर नगर अध्यक्ष अशरफ मंसूरी ने बताया कि ती साल के मेरे कार्यकाल में कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया साइबर सेल मैं प्रशिक्षण देकर योग्य कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी बनाकर कांग्रेश किस समर्थन एवं पूर्व में किए गए कार्यों को जनसामान्य तक सोशल मीडिया के माध्यम से पहुंचाने का कार्य किया। मेरे तीन साल के कार्यकाल में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी किसी कारण से वह सरकार 15 महीने ही चल पाई। सोशल मीडिया जबलपुर बिंग के 174 पदाधिकारियों ने जबलपुर का नाम प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का कार्य किया।
कांग्रेस विचारधारा के अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया विंग, सभी प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टि्वटर आदि पर कांग्रेस की उपलब्धियों का बखान और कांग्रेस के खिलाफ किए जा रहे दुष्प्रचारों का विरोध करती है कांग्रेस के सोशल मीडिया विंग ने भाजपा की आईटी सेल जैसे नेगेटिव तंत्र को करारी टक्कर दी है। इसमें कोई भी पैड कर्मचारी नहीं है। हर वह व्यक्ति जो कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ा है, वह एक सिपाही की तरह कांग्रेश के खिलाफ आने वाले विचारों का सबूतों के साथ जवाब देता है। कांग्रेस की सोशल मीडिया विंग ने कभी भी ऐसी शब्दावली का उपयोग नहीं किया जो कि भारत के संविधान या कानून का उल्लंघन करती हो। इसका ध्यान रखना अपने आप में एक जिम्मेदारी और नैतिकता पूर्ण बात है जिस को जनता ने स्वीकारा और समर्थन किया है।