जबलपुर दर्पण। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. प्रमोद कुमार मिश्रा की सद्प्रेरणा से अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 में विश्वविद्यालय विशेष कार्ययोजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. मिश्रा ने बताया कि माइनर मिलेट्स (कोदो, कुटकी, रागी, सावां, कंगनी,चीना, ज्वार, बाजरा एवं कुट्टू)के श्रेष्ठतम कृषि तकनीक, उत्तम किस्मों के बीज की उपलब्धता व क्षेत्रफल व उत्पादन दोनों बढ़ाने में लघु धान्य उत्पादन का बेहतर प्रसंस्करण की जानकारी एवं खाद्य उत्पादों की श्रंखला तैयार करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। विश्वविद्यालय के डाॅ. जी. के. कौतू ने जानकारी देते हुये बताया कि भारत वर्ष में प्राचीन समय से मोटे अनाजो, विशेष रूप से लघु धान्य फसलों की खेती बहुतायत से की जाती रही है और हर आम आदमी का मुख्य आहार हुआ करता था, परंतु हरित क्रांति के उद्भव के पश्चात अधिक उपज देने वाली खाद्य फसलों (धान तथा गेंहू) के प्रचलन से इन लघु धान्य फसलों के क्षेत्रफल में बहुत गिरावट हुई है। इन परिस्थियों के चलते कृषि उत्पादन में प्रदेश एवं देशभर में आये बदलाव ने क्रमशः गेंहू-चावल को हमारा प्रमुख खाद्यान बना दिया और मोटे यानि पोषक अनाज की खेती कम होती गई। अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये इन फसलों में किसानों ने प्रचुरता से रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग भी किया गया। इससे देश खाद्यान में आत्मनिर्भर हुआ, लेकिन कई दुष्परिणाम भी सामने आये। इस परिवर्तन के दीर्घकालीन परिणाम पोषण की कमी, डायबिटीज एवं मोटापा जैसे कई अन्य बीमारियों के रूप में सामने आ रहे हैं। मोटे अनाजों को बढ़ावा देने और मांग सृजन के लिये वर्ष 2018 को ‘‘राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष’’ के रूप में मनाया गया था। इन मिलेट्स के स्वास्थ्य लाभों को देखते हुये वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है। स्थानीय एवं वैश्विक मांग बनाने के साथ जलवायु अनुकूल पोषक अनाज के उत्पादन, प्रोसेसिंग, खपत, निर्यात, ब्रांडिंग आदि पर सरकार कारगर काम कर रही है। इन लघु धान्य फसलों की खेती मध्यप्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में वर्षा आधारित सीमांत तथा अत्यंत कम उपजाऊ भूमियों पर आदिवासी किसानों द्वारा बहुतायत से किया जा रहा है। संचालक विस्तार सेवायें डाॅ. दिनकर प्रसाद शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा 2023 अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष अन्तर्गत विशेष कार्ययोजना में विश्वविद्यालय के अन्तर्गत संचालित 22 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा विशेष रूप से मिलेट्स की कृषि तकनीकी, नई किस्मों के बीज, विभिन्न प्रकार के पौष्टिक व स्वादिष्ट उत्पाद की सतत् प्रशिक्षण व प्रदर्शन जारी है, साथ ही राज्य शासन व भारत शासन के मिलेट्स अन्तर्गत कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक विशेष सहयोग व जानकारी प्रदान कर रहे हैं।