जबलपुर दर्पणमध्य प्रदेश

प्राचीनकालीन अधारताल तालाब को तालाब के अस्तित्व में फिर से भारी संकट

जबलपुर दर्पण। संस्कारधानी की कभी पहचान ताल-तलैयों के नाम से हुआ करती थी, लेकिन अब न तो ताल बचे हैं और न ही तलैयां, और वर्तमान में जो तालाब बचे हुए हैं, वह भी प्रशासनिक व राजनीतिक उपेक्षा के शिकार होते जा रहे हैं, जिसका अस्तित्व भी संकट में है, ऐसा ही एक प्राचीनकालीन अधारताल तालाब है, जो कि उपनगरीय क्षेत्र अधारताल में स्थित है, जिसको निरंतर जीवित रखने का कार्य क्षेत्रीय नागरिकों व जय हो अधारताल विकास समिति के द्वारा किया जा रहा है। लेकिन वर्तमान तालाब में मिल रहे गंदे नाले के पानी से तालाब अपने अस्तित्व को खोता हुआ दिख रहा है।
गौरतलब है कि वर्ष 2016 से क्षेत्रीय नागरिकों ने जय हो अधारताल विकास समिति बनाकर एक मुहिम चलाकर व्यापक पैमान में अभियान चलाकर शासन-प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों, नागरिकों व हर वर्ग की मदद से तालाब को संरक्षित किया गया है, जिसमें सौन्द्रर्यीकरण के कुछ कार्य भी हुए और कुछ होना बाकी है, लेकिन इस तरह से तालाब दीवान अधार सिंह वार्ड की विभिन्न बस्तियों का गंदा पानी तालाब में प्रवाहित होने से तालाब उपेक्षा से दो चार हो रहा है।

तालाब की भूमि के अंदर से ही बना दिया गया नाला

जय हो अधारताल विकास समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि अधारताल तालाब का रकवा कई एकड़ का है, जिसकी भूमि की खुदाई कर तालाब के अंदर से ही दीवान अधारत सिंह वार्ड की बस्तियों के पानी को बहाने के लिए कं ाक्रीट का एक बड़ा नाला बना दिया गया है, जो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों उदासीनता व नगर निगम प्रशासन और तमाम जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा रहा है। जिसको रोकने की मांग समिति के द्वारा निरंतर की जा रही है।

प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के प्रमुख अभियान पर फेरा जा रहा पानी

एक तरफ जब धरोहरों और सरोवरों को बचाने की देश के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, तब इस तरह का कृत होना, जिम्मेदारों की लापरवाही को उजागर करता है, जिनके दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग समिति व क्षेत्रीय नागरिकों ने की है।

क्षेत्रीय नागरिकों व समिति की वजह से बच सका है तालाब

प्राचीनकालीन अधारताल पूर्व में अपने अस्तित्व को खोने की कगार पर था, लेकिन क्षेत्रीय नागरिकों ने जय हो अधारताल विकास समिति बनाकर तालाब को पुर्नजीवित करने का अथक प्रयास किया और तालाब पुर्नजीवित हो सका है। जिसमें तमाम जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों और निगम प्रशासन के सहयोग से विभिन्न विकास कार्य भी हुए।

तालाब धार्मिक आस्था का है केन्द्र

गौरतलब है कि अधारताल तालाब में विभिन्न धार्मिक पर्व जैसे कि गणेश उत्सव, दुर्गा उत्सव, छठ पूजा, सहित हिन्दू धर्म के विभिन्न पर्वों पर तालाब में विविध आयोजन होते हैं, यहां तक की तालाब में जवारे विसर्जन, मूर्ति विसर्जन सहित अन्य पूजन-पाठ होते हैं, जिससे अधारताल तालाब धार्मिक आस्था का केन्द्र है और इस प्रकार से तालाब में गंदे नाले का पानी प्रवाहित होने से धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

तालाब में सुअरों का जमावड़ा

प्राचीनकालीन लक्ष्मी माता जी का पंचमठा मंदिर की ओर अधारताल स्थित पेट्रोल पम्प से जाने वाले मार्ग से अधारताल तालाब के अंदर वहाए जा रहे गंदे नाले की वजह तालाब परिसर में सुअरों का भी जमावड़ा है, जिससे तालाब का वातावरण भी खराब हो रहा है।

तालाब को प्रदूषित करने वालों पर कार्यवाही की मांग

:- जय हो अधारताल विकास समिति ने अधारताल तालाब के अंदर से नाला निर्माण कि किस अधिकारी ने स्वीकृति दी है और इस तरह नाला निर्माण करवाए जाने वाले तमाम जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्यवाही की की मांग की गई है।
:- तालाब के अंदर से नाला निर्माण कर तालाब में दीवान आधार सिंह वार्ड की विभिन्न बस्तियों के गंदे पानी को मिलने से रोका जाए और इस तरह से अनियमित रूप से बनाने वाले नाले से होने वाली जनता के पैसों की बर्बादी को तमाम संबंधित दोषियों से वसूला जाए।
:- जबकि उक्त नाला का निर्माण तालाब परिसर की दूसरी तरफ से किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है, जिसके दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।
:- समिति के अनुसार वर्ष 2016 से शुरू हुए अभियान के दौरान नाला को बंद करवा दिया गया था, लेकिन इसे पुन: अभी खोद कर चालू कर दिया गया है और तालाब में सीधे गंदा पानी प्रवाहित किया जा रहा है। जिससे वहां पर गंदगी का आलम है, उसे बंद किया जाए।

तालाब के विकास के इन बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाने की मांग

:- अधारताल तालाब के संरक्षण व संवर्धन पर ध्यान देते हुए शीघ्र ही परमानेन्ट वहृद बड़े विसर्जन कुण्ड का निर्माण अधारताल परिसर में रिक्त पड़े स्थान में करवाया जाए।
:- अधारताल तालाब के सौन्द्रर्यीकरण के लिए अमृत योजना के तहत ढ़ाई करोड़ रूपये की स्वीकृत हुई राशि से कार्य अधूरे हुए हैं, उसे शीघ्र ही पूरा करवाते हुए चारों तरफ पाथवेय बनाया जाए।
:- तालाब का गहरीकरण करवाया जाए।
:- अधारताल तालाब परिसर में शीघ्र ही सड़क निर्माण कराया जाए।
:- तालाब परिसर में अमृत योजना के तहत संबंधित ठेकेदार के द्वारा ट्यूब वेल तो खुदवाया गया है, लेकिन पानी की पाइप लाइन नहीं बिछाई गई है, जिससे परिसर में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं और न ही पेड़ पौधों की तराई हो पाती है, अत: इस कार्य को भी शीघ्र पूरा किया जाए।
:- तालाब परिसर में बने श्री हनुमान मंदिर व शनिदेव महाराज जी के मंदिर के आसपास उद्यान व टाइल्स लगवाते हुए अन्य सौंदर्यीकरण के कार्य करवाएं जाएं।
:- अधारताल तालाब परिसर में ओपन जिम एवं उद्यान का निर्माण कराया जाए।
:- तालाब में आने वाले व्यक्तियों के लिए बैठने के लिए पर्याप्त मात्रा में कुर्सी की व्यवस्था की जाए।
:- तालाब के घाट में लाल पत्थरों को लगाकर आकर्षक बनाया जाए।
:- तालाब में फब्बारे वाले फ ाउंटेन की व्यवस्था की जाए।
:- अधारताल तालाब को स्वच्छ बनाने के लिए नियमित रूप से कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए, जो नियमित रूप से साफ सफ ाई का कार्य कर सकें।
:- अधारताल तालाब में रात्रि कालीन होने वाली शराबखोरी को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा सख्त से सख्त शराबियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।

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