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जिले में बेरोज़गारी बना चुनावी मुद्दा, शहरों में पलायन के नहीं रूक रहें मामले

डिंडोरी, जबलपुर दर्पण ब्यूरो। आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी में पलायन के मामले नहीं रूक रहें हैं, देखा जा रहा है कि हर साल हजारों लोग काम की तलाश में गांव से बाहर शहरों में रोजगार करने के लिए पलायन कर रहे हैं। गौरतलब है कि जिले में रोजगार के पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, हर साल बेरोज़गारी दूर करना केवल चुनावी मुद्दा ही बन जाता है, रोजगार के संसाधन उपलब्ध करवाने में आज तक किसी भी पार्टी नेताओं ने कोई पहल नहीं की। इसी तरह ग्राम पंचायतों में संचालित मनरेगा योजना ब्लॉक में श्रमिकों के लिए सिर्फ दिखावा साबित हो रही है। ताज़ा मामला शहपुरा ब्लॉक अन्तर्गत गांव पंचायत टिकरिया से सामने आया है, जहां लगभग तीन माह से ग्राम के ग्रामीणों को रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगार नही मिला। मजबुरन स्थानीय ग्रामीण रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हैं। बताया गया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत शहर में लोगों का पलायन रोकने के लिए गांव में रोजगार दिया जाता है। अभी हाल में ही एक अप्रैल से शासन की ओर से मनरेगा, श्रमिकों की मजदूरी में वृद्धि करते हुए 230 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है। गांव में रोजगार मिल सके इसके लिए शहपुरा ब्लॉक क्षेत्र की 69 ग्राम पंचायतों में श्रमिकों का जॉब कार्ड बनाया गया है, जिससे ग्रामीण को गांव में ही रोजगार मिल सके, लेकिन ग्राम पंचायत टिकरिया के रोजगार सहायक की मनमानी के चलते यहां जमीनी स्तर कुछ और ही बयां कर रही हैं। गांव में रोजगार नहीं मिलने से ग्राम पंचायत के जॉब कार्डधारक मजदूर आर्थिक तंगी दूर करने के लिए पुन: शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं, इतना ही नहीं योजना में समय से श्रमांश व सामग्री अंश का भुगतान नहीं होने से ग्राम प्रधान भी योजना संचालित करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसी तरह से देखा जाए तो जिले भर में ग्रामीणों को पर्याप्त रोजगार नहीं मिल पाता, जिससे शहरों में पलायन करने के मामले में लगातार वृद्धि हो रही है।

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