कथा व्यास नृसिंग पीठाधीश्वर डॉ. स्वामी नरसिंह दास जी महाराज
जबलपुर दर्पण। पंचम दिवस की कथा का शुभारंभ करते हुए स्वामी जी ने कहा भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ किन्तु उत्सव मधुरा में नहीं ब्रज में नंद यशोदा के यहां होता है यशोदा जी अपना लाला मान लिया तो बन गये, वह बनने को तैयार है आप उसे पिता मान लो भाई मान ले गुरु जो सम्मन्न्ध अच्छा लगे बना लेना चाहिए, पहले देवकी नन्दन फिर यशोदा नन्दन बन कर ब्रज में लीला करते हुए कंस के द्वारा भेजे गये अनेक दैत्यों का उद्वार करते हैं। श्री ब्रह्मा भगवान की माया से मोहित होकर जब भगवान के बछड़े व सखा ओ का अपहरण करते हैं तो श्रीहरि ब्रह्मा का मान मर्दन किया है ब्रह्मा जी ने श्रीकृष्ण की दिव्य स्तुति करते हुए कहा था- “नौमीडय तेभ्र वपुषे तडिदम्बराय” हे पशुपाङ्ग जाय. नंद के लाला श्री लक्ष्मी के पति में स्तुति करने योग्य आपके चरणों को नमस्कार करता हूं। श्री कृष्ण जी की मधुराति मधुर लीलाकों का वर्णन करते हुए श्री गिरिराज गोबर्द्धन के पावन प्रसङ्ग की विस्तृत मीमांसा किया। यजमान श्रीमती शालिनी पांडे गीत तिवारी सावित्री उपाध्याय विजय तिवारी ने किया इस अवसर पर वीणा तिवारी जगतदेव मिश्र आचार्य रामफल शुक्ला प्रदीप मिश्रा उपस्थित रहें|