कचहरी दरगाह मे क़ुल शरीफ के साथ उर्स का समापन
जबलपुर दर्पण। हाई कोर्ट के सामने स्तिथ हजरत ख़्वाजा अमीनुद्दीन चिश्ती कचहरी वाले बाबा साहब के आयोजित गत रात्रि मे क़व्वाल सलीम साबरी कपासन राजस्थान ने अपने कलामो से समा बांधा । हमदे पाक अल्लाह हू अल्लाह हू से क़व्वाली का आगाज हुआ। जिसके बाद क़व्वाल ने अपने एक से बढ़कर सूफियाना कलाम पेश किये। समाइन ने क़व्वाल के ख़्वाजा गरीब नवाज़ की शान मे मनकबत पाक कृपा करो महाराज मुईनुद्दीन पर दिल खोलकर नजराना पेश किया। अर्ध रात्रि मे क़व्वाल ने शहादत पढ़ी क्या क्या नबी की आल पे जुल्मों सितम हुए फिर भी हुसैन वाले ना दुनिया मे कम हुए । इस शहादत ने अक़ीदतमंदो को भाव विभोर कर दिया। क़व्वाली मे हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई धर्मालम्बियों के साथ साथ जनप्रतिनिधिगण भी मौजूद रहे। अंत मे सालातो सलाम के साथ क़व्वाली का समापन हुआ।
क़ुल शरीफ – उर्स के अंतिम दिन दोपहर 3 बजे क़ुल शरीफ मे महफिले सिमा का एहतेमाम किया गया । सज्जादानशीन बाबर खा बन्दानवाजी एवं ख़ादिमे आला चंगेज खान अशरफी की सदारत मे आयोजित महफिले सिमा मे दरबारी क़व्वाल ने अपने सूफियाना कलाम पेश किये। हिंदुस्थान के मशहूर कवि हजरत अमीर खुसरो द्वारा रचित कलाम आज रंग है, ए माँ रंग है री,मेरे मेहबूब के घर रंग है री कलाम पर सूफी हजरात भाव विभोर हो गए। कुल शरीफ में सूफी हाजी मुईन बाबा, सूफी नईम शाह, सूफ़ी आफ़ताब अली कादरी, सूफी सत्तार सुल्तानी, सूफी ठाकुर सूरज, सूफी जमना, सूफी रफीक बाबा,सूफ़ी जसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित सेकड़ो सूफी हजरात मौजूद रहे। अंत मे बाबर खा बन्दानवाजी ने हाजरीन के लिए खास दुआएं की और जबलपुर मे अमन शांति खुशहाली की दुआए मांगी। क़ुल शरीफ की न्याज़ के बाद लंगर तक़सीम किया गया। चंगेज खान अशरफी ने उर्स मे शहर व दूर दराज से आये अक़ीदतमंदो का शुक्रिया अदा किया। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन , नगर निगम एवं प्रेस मीडिया का शुक्रिया अदा करते हुए कहा की इनका सहयोग हर वर्ष जो उर्स शरीफ मे मिलता है बो काबिले तारीफ है और मे इनका दिल से शुक्रिया अदा करता हू ।