जबलपुर दर्पणमध्य प्रदेश

ज्वर से पीड़ित भगवान जगन्नाथ मंदिर के कपाट हुए बंद

जबलपुर दर्पण। जगत के नाथ भगवान जगन्नाथ स्वामी, बड़े भाई बलभद्र और बहिन देवी सुभद्रा ज्वर से पीड़ित होने की वजह से 15 दिनो तक भक्तो को दर्शन नहीं देंगे, इसीलिए साहू धर्मशाला गढ़ाफाटक स्थित भगवान जगन्नाथ स्वामी मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए है।

उक्ताशय की जानकारी देते हुए कोठिया श्रीकांत साहू ने बताया वात्री साहू समाज जबलपुर द्वारा संचालित श्री जगदीश स्वामी कर्मा माई शंकर भगवान मंदिर ट्रस्ट लॉर्डगंज के तत्वाधान में 134 वर्षो से लगातार जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा बड़े धूमधाम से निकाली जाती है और प्रचलित है कि रथयात्रा के 15 दिवस पूर्व प्रभु जगन्नाथ स्वामी ज्वर से पीड़ित हो जाते है इसीलिए भगवान को विश्राम देने के उद्देश्य से भगवान के कपाट बंद कर दिए जाते है और वर्षो से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन करते हुए साहू समाज के सदस्यों ने साहू धर्मशाला गढ़ाफाटक स्थित अस्थाई मंदिर में विराजित भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ प्रतिमा को सुगंधित इत्र एवं स्वर्ण मिश्रित गंगा, नर्मदा, यमुना के जल से स्नान करा कर उन्हे गर्म शाल से ढका गया। साहू ने बताया 15 दिनो के विश्राम अवस्था में भगवान को सिर्फ आयुर्वेदिक काढ़े का भोग ही बस लगाया जाता है इस दौरान उनका पूजन अर्चन नही होता है।

साहू ने बताया 15 दिनो की विश्राम अवस्था के बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा के कपाट खोले जाएंगे इसके पश्चात भगवान की काष्ठ प्रतिमा को नीम मिश्रित जल से स्नान करा कर नीम का तेल लगाया जाएगा और नवीन वस्त्र पहनाकर श्रृंगार कर पूजन अर्चन के पश्चात रथ पर विराजित किया जायेगा इसके बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी बलभद्र जी और देवी सुभद्रा अपने भक्तो को दर्शन देने रथयात्रा में निकलेंगे।

साहू ने बताया वात्री साहू समाज जबलपुर द्वारा संचालित जगदीश स्वामी कर्मा माई शंकर भगवान मंदिर ट्रस्ट लॉर्डगंज के तत्वाधान निकाली जाने वाली रथयात्रा का यह 135 वां वर्ष है यह रथयात्रा आगामी 7 जुलाई रविवार को दोपहर 2 बजे साहू धर्मशाला गढ़ाफाटक स्थित अस्थाई मंदिर से प्रारंभ होगी जो चरहाई, बड़े महावीर मंदिर, बड़ा फुहारा, सराफा , कोतवाली, मिलोनिगंज, हनुमानताल होते हुए बड़ी खेरमाई मंदिर पहुंचेगी जहां स्थित सिंहवाहनी मंदिर में भगवान 12 दिनो तक अपनी मौसी के घर में रहेंगे इसके बाद भगवान की वापसी रथयात्रा निकाली जाएगी और भगवान अपने मंदिर में विराजित होंगे।

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