रिपोर्ट : के .रवि ( दादा ) ,
गुजरात ।अहमदाबाद के सूरत का रहनेवाला सोहेल इस्माइल नामक शख्स अपने घर में ही नकली टोसिलिजुमेब इंजेक्शन बनाता था . सूरत खाद्य एवं औषध विभाग के आयुक्त डॉ. एचजी कोशिया के टीम के जरिए सूरत से टोसिलिजुमेब इंजेक्शन का जो जखीरा पकड़ा गया है दरसल वह नकली है . आईटीआई पास सोहेल इस्माइल अपने घर में सामग्री लाकर स्टीरोइड की मदद से टोसिलिजुमेब इंजेक्शन बनाता था . सूरत में सोहेल इस्माइल ताई के घर पर छापा मारकर एक फिलींग मशीन, सिलिंग मशीन, कोडिंग मशीन, नकली द्रव्यु पदार्थ, पैकिंग मैटेरियल व मिनी मशीन के साथ करीब 8 लाख की कीमत का माल व मशीनरी बरामद की गई है . एच जी कोशिया ने बताया कि नकली इंजेक्सन स्टीरोइड की मात्रा अधिक पाई गई है . नकली इंजेक्शन के कंटेंट के बारे में स्वीट्जरलैंड की रोश कंपनी आगे जांच करेगी . कंपनी ने इंजेक्शन के लिए जापान में प्लांट लगाया गया है . उत्पादन के बाद कंपनी यह इंजेक्शन स्वीट्जरलैंड भेजती है और भारत की सिप्ला कंपनी टोसिलिजुमेब इंजेक्शन स्वीट्जरलैंड से खरीदती है . उन्होंने बताया कि यह इंजेक्शन भारत में 30 से 40 हजार रुपए में मिलता है . यह इंजेक्शन मोनोक्रोनल एन्टी बॉडी होता है और मरीज के वजन के मुताबिक उसे दिया जाता है . डॉ कोशिया ने बताया कि अहमदाबाद के संजीवनी अस्पताल के डॉ देवांग शाह ने वहां भर्ती मरीज लताबेन बलदुआ को 400 मिलिग्रामका टॉसीलीजुमेब इंजेक्शन लिखा था . मरीज के परिजन 250 मिलीग्राम का इंजेक्शन खरीदकर लेकर गये तो डॉक्टर को शंका हुई तथा उन्होंने आला अधिकारियों को इस संबंध में सूचित किया . परिजनों से पूछताछ की तो पता चला कि साबरमती में मां फार्मेसी से वे यह इंजेक्शन 1 लाख 35 हजार रु में बिना बिल के खरीदकर ले गये थे . मा फार्मेसी पर छापा मारा गया तो वहां इंजेक्शन तो नहीं मिले लेकिन उसने बताया कि चांदखेडा में रहने वाले हर्ष भरत भाई ठाकोर से उसने 80 हजार रु में 4 बॉक्स खरीदे थे . जब हर्ष से इस संबंध में पूछताछ की गई तो उसने बताया कि 70 हजार में उसने पालडी के हेप्पी केमिस्ट के मालिक निलेश लालीवाला से खरीदे थे . जब निलेश से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि वह जरूरत पड़ने पर सूरत के सोहेल इस्माइल से मंगाते थे . जिसके आधार पर सूरत में यह छापा मारा गया . लालीवाला ने ये भी बताया कि नेंड्रोलॉन डेकोनेएट 250 मिलीग्राम वाला इंजेक्शन कोरोना के टॉसीलीजुमेब से मिलता जुलता होने से उस पर टॉसीलीजुमेब का लेबल चिपकाकर भी मरीजों को बेचा जा रहा है .