बलपूर्वक भगाया जा रहा है बैगा आदिवासी परिवारों को
जंगल विभाग द्वारा मनमानी कार्यवाही की
बृजेंद्र सोनवानी,अनूपपुर / पुष्पराजगढ़
विलुप्त प्रजाति बैगा जो कि जंगलों में बसे हुए हैं और उनका मात्र साधन खेती है। उन्हें भी छीनने मे लगी है वन विभाग। वन विभाग के द्वारा जबरन उन्हें भगाया जा रहा है ऐसे में वह जाएंगे कहां और जिएंगे कैसे।
पुष्पराजगढ़ में सैकड़ों स्टोन क्रेसर अवैध रूप से गैर आदिवासियों द्वारा संचालित है उनमें वन विभाग कोई तत्परता से कार्यवाही नहीं करती – क्यों ? जबकीअधिकांश स्टोन क्रेशर एवं खदाने फारेस्ट वफर जोन के दायरे में आते है।
पुष्पराजगढ़ में पेसा एक्ट (धारा)लागू है फिर भी आदिवासियों का लगातार शोषण हो रहा है स्थानीय जनप्रतिनिधि मौन है।
आज दिनाँक 22/07/2020 को मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में पुष्पराजगढ़ ब्लॉक के अन्तर्गत ग्राम पंचायत बेंदी का मामला है, यहां पे बैगा आदिवासी कई वर्षों से102 एकड़ जमीन पे खेती कर रहे हैं. वहां आज फारेस्ट विभाग के द्वारा फसल नष्ट कराया जा रहा है, और वहां पर वृक्षारोपण किया जा रहा है। यहां के बैगा आदिवासी पढ़े लिखे नहीं हैं, उन्हें गोली मारने की धमकी दी जा रही है. वे भोले-भाले बैगा आदिवासी वर्दी देख कर डर जाते हैं. वहां पूरे धान का फसल लगा हुआ है, खडी़ फसल में मवेशियों को चरने के लिए छोड़ देते हैं। पूरे जमीन पे बाउंडरी करा दिया गया है.
आज लगभग100 बीट गार्ड बंदूकें लेकर ड्यूटी लगा दिया है। दूसरे अदिवासियों को उनके खिलाफ खड़े कर रहे हैं। और आपस मे लड़वा रहे हैं।अनुसूचित क्षेत्रों के लिये पांचवी अनुसूची अनुच्छेद 244(1), पंचायत उपबंध का अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम 1996, वनाधिकार अधिनियम 2006 की अधिसूचना कमशः देश के राष्ट्रपति व राज्यपाल के द्वारा जारी हुई हैं। परंतु इन कानूनों को कार्यपालिका के अधिकारी संविधान सम्मत सेवा करने की प्रतिज्ञा कर अज्ञानतावश उन्हीं हाथों से तोड़ रहे हैं। एक प्रकार से अनुसूचित क्षेत्र के नागरिकों के साथ यह संवैधानिक भेदभाव ही है। जिसके कारण ही इन क्षेत्रों में समन्वित विकास नहीं हो पा रही है तथा शांति कायम नहीं हो पा रही है। जबकि इन क्षेत्रों में आजादी से आज तक सर्वाधिक बजट आबंटित कर खर्च किया जा रहा है। यह खर्च कहां और कैसे हो रहा है इस पर भी गम्भीर सवाल खड़े होते।
सरकार को पांचवीं अनुसूची (अनुसूचित क्षेत्र) और सामान्य क्षेत्र में फर्क नहीं लगता जो बैगा आदिवासियों को इस तरह से जंगल से खदेड़ा जा रहा है. और आज इस मामले को लेकर जयस युवा मोर्चा अनूपपुर जिला अध्यक्ष रोहित सिंह मरावी, व (आदिवासी छात्र संगठन) इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक, के तरफ से मोहन मीणा, अनिरुद्ध सिंह, नवीन उरैती, चिन्टू खाटी, योगनारायण सिंह, और समस्त बैगा आदिवासी ग्रामीण जन ने अपनी जब अपनी पक्ष रखने की कोशिश की तो
(SDO)वन विभाग द्वारा अभद्रता पूर्वक व्यवहार किया. व उनकी बात सुने बिना अपनी कार्यवाही के साथ बल प्रयोग करते रहे.