तो यहाँ ऐसे होगा प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षण, विभाग खुद नजर आ रहा बीमार
(विनय मिश्रा की रिपोर्ट)शहडोल।।
भारत एक ऐसा देश रहा है जिसका इतिहास विविधता से भरा हुआ है, दुनिया की प्राचीनतम हड़प्पा सभ्यता से जहाँ हम सर्वोत्तम नगर-योजना के गुर सीख सकते हैं तो,वहीं मप्र में भी अलग-अलग जिलों में ऐतिहासिक धरोहरों और स्थलों का वास है जिनमे से कुछ को यूनेस्को की श्रेणी में भी रखा गया है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(अ) में स्पष्ट कहा गया है कि अपनी समग्र संस्कृति की समृद्ध धरोहर का सम्मान करना और इसे संरक्षित रखना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है।
यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि हम अब तक अपने विरासत स्थलों के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व पर ही बात करते आए हैं , जबकि आर्थिक विकास में इनकी भूमिका अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण है। यह एक ऐसा पक्ष है जिसे हम नज़रंदाज़ करते आए हैं।
शहडोल जिले में पुरातत्व विभाग की दुर्गति को देखकर आभास हो जाता है कि परिसर में फैले अव्यवस्थाओं का यह आलम है तो इन्हें सौंपे दायित्वों और प्राकृतिक धरोहरों की क्या स्थिति क्या होगी
जिला मुख्यालय अंतर्गत पुरातत्व विभाग जहां कई प्रकार की अव्यवस्थाएं फैली हुई है।
देखा जाए तो इस विभाग को जिले का सबसे व्यवस्थित विभागों में से एक होना चाहिए। लेकिन यह पर व्यवस्था की गाड़ी पटरी से नीचे उतरी हुई दिखाई दे रहा है।पुरातत्व विभाग का संग्राहलय भी यही है । पुरातत्व विभाग को जिले से प्राप्त या खुदाई में मील पुरातात्विक वस्तुएं जिनका संरक्षण भी उचित ढंग से नही किया जा रहा है।
पूर्व में कलेक्टर कर चुकी है निरीक्षण
कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव ने विभाग में पनप रही समस्याओं का निरीक्षण करते हुए विभाग को व्यवस्थित करने का आश्वाशन लोगो को दिया था। लेकिन उनके निरीक्षण के विभाग पर कोई खास असर नही पड़ा है। इस विभाग का संचालन जबलपुर में बैठे अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। जिसका कोई लाभ यहां के लोग नही ले पा रहे है।
गाइड और संग्रहालय अध्यक्ष के पद रिक्त
यहां पर संग्रहालय अध्यक्ष और पुरातत्विक वस्तुओ,संग्रहित वस्तुओ की जानकारी देने के लिए गाइड भी उपस्तिथ नही है। जिले के भौगोलिक और धरोहरों की जानकारी लेने आये लोगो परेशानी उठानी है। संग्रहालय का भ्रमण लोगों को चौकीदार के इशारे पर करना पड़ता है। जिससे लोगों को आधी अधूरी जानकारी लेकर जाना पड़ता है।यह पर पिछले 5 सालों से संग्रहालय अध्यक्ष और गाइड़ की पद रिक्त है। जानकारी के अनुसार इन पदों पर स्टे लगा कर रखा हुआ है ताकि इन पदों पर किसी की भर्ती न हो।
साफ सफाई में भी लापरवाही….
यहां पर साफ सफाई में व अनदेखी की जा रही है।विभाग के पूरे परीक्षण में सूखे घास फूस बिखरा पड़ा है। परिषर का भवन भी जर्जर ही चुका है। यहां की दीवारों पर काई लगी हुई है। दीवारों पर सालों से रंग रोगन नही हुई है। जिससे भवन की सूरत बिगड़ी दिखती है। सरकारी संपत्ति होने के बाबजूद हालात गंभीर है। सरकार के स्वछता अभियान के सपने को सरकार के जिम्मेदार लोग ही चूर चूर कर रहे है।
इनका कहना है….
( देखना पड़ेगा कि उसकी वर्तमान स्थिति क्या है रही बात गन्दगी और अव्यवस्थाओं की तो हम नगर निगम को बोलकर साफ-सफाई करवा देंगे,कलेक्टर शहडोल वन्दना वैध)