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नेताजी सुभाषचन्द्र बोस केन्द्रीय जेल जबलपुर में स्थापित वेदमूर्ति तपोनिष्ठ

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पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित 70 खण्ड वांग्मय

जबलपुर। केन्द्रीय जेल जबलपुर में बंदियों के सुधार व बंदियों के जीवन को उन्नत करने के लिए लगातार प्रयास किए जाते है। इंदिरा गॉंधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय द्वारा बंदियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी कड़ी में आज दिनांक 04.07.2022 को जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर के मार्गदर्शन में पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित 70 खण्ड वांग्मय की स्थापना की जाकर पुस्तकालय का विस्तार किया गया।
अवगत हो वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा 3200 पुस्तकों का लेखन किया गया, उनके द्वारा रचित साहित्य व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण, राष्ट्र निर्माण तथा आत्मनिर्माण हेतु अनगिनत प्रेरणाएॅं एवं दृष्टांत भरे पडे़ है जिसका अध्ययन कर बंदियों का जीवन खुशहाली और श्रमशीलता की ओर अग्रसर होगा। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने साहित्य को ‘‘ज्ञान देवता’’ और ‘‘जीवंत देवता’’ कहा है। जिसकी साधना-आराधना से जीवन निरंतर अग्रसर होता रहा है। ‘‘बिना अध्ययन के शयन नहीं‘‘ इस उक्ति को चरितार्थ करने जा रही है, जेल में स्थापित पुस्तकालय जो कि अष्टकोण कार्यालय में स्थापित हुई। ताकि बंदी कभी-भी उन साहित्यों का अध्ययन कर सकें।
पुस्तकालय का शुभारंभ करते हुए जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने बंदियों को प्रतिदिन 01 घण्टे इन जीवंत साहित्यों को पढ़ने की प्रेरणा दी व संकल्प कराया कि इन साहित्यों का अध्ययन कर अपने जीवन में उतारेंगे।
इन साहित्यों की स्थापना में मदन कमलेश, उप जेल अधीक्षक (प्रशासन) एवं श्रीकांत त्रिपाठी, सहायक जेल अधीक्षक तथा राकेश मोहन उपाध्याय सहायक जेल अधीक्षक की सराहनीय और सक्रिय भूमिका रहीं। पुस्तकालय के उद्घाटन समारोह में समस्त जेल अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहें।

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