कवयित्री मंजुला साहू कर रही चिकित्सा शिक्षा व प्रतियोगी परीक्षाओं का हिंदी अनुवाद
जबलपुर दर्पण। डॉक्टर मंजुला साहू हिंदी भाषा में गहरी रुचि रखती है।गद्य एवं पद्य दोनों में ही उनकी रचनाएँ आकार लेती है। लेखनी बेबाक़ है इसलिए निर्भीक उपनाम सहज ही उनसे जुड़ गया।उनके दो काव्य संग्रह “प्रतिबिंबन” और “स्पंदन “प्रकाशित हो चुके हैं और एक कहानी संग्रह प्रकाशन हेतु अग्रसर है ।अनेक मंचों से अनेक सम्मान पत्र और प्रशस्ति पत्र प्राप्त डॉक्टर मंजुला साहू “निर्भीक “कि यह तो हुई रचनाधर्मिता है। लेकिन हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु जो कार्य वे कर रही है वो उल्लेखनीय हैं ।
आज हमारे युवा अंग्रेज़ी के प्रति अधिक लगाव रखते हैं क्योंकि उनके अनुसार उज्जवल भविष्य हेतु अंग्रेज़ी सर्वथा श्रेष्ठ हैं। उन्होंने महसूस किया कि चिकित्सा, अभियांत्रिकी,प्रशासनिक आदि सभी क्षेत्रों की किताबें सिर्फ़ अंग्रेज़ी भाषा में ही उपलब्ध है और यही कारण है कि अंग्रेज़ी हिन्दी के ऊपर हावी हो रही है। तब हिंदी को उसका स्थान दिलाने हेतु चिकित्सा क्षेत्र की आंतरिक संरचना की श्री सातोष्कर द्वारा लिखी गई किताब का हिंदी अनुवाद डॉक्टर मंजुला साहू ने प्रारंभ किया। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो अन्य किताबों का हिन्दी अनुवाद उनका लक्ष्य हैं ।
इसी तरह देश की सर्वोच्च परीक्षा आई ए एस में उर्दू को शामिल किया गया है पर हिंदी और संस्कृत को नही ।इसलिए इस परीक्षा में पूछे जाने वाले वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की एक किताब तैयार कर रही है ।आशा हे कि इससे हिंदी भाषी प्रतिभागियों को मदद मिलेगी।
हमारा सभी साहित्यकारों से यही आग्रह है कि सिर्फ़ काव्य रचना ही साहित्य नहीं है ।यदि हम सचमुच हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते हैं तो हमें अंग्रेज़ी की हर उस शाखा पर प्रहार करना होगा जो हिंदी को आगे बढ़ने से रोकती है।और यदि हम यह कर सकें तो यह हिंदी के प्रति हमारी सच्ची आराधना होगी। श्रृंगार रस में लिखने के स्थान पर हिंदी को सरताज बनाने हेतु किये जा रहे यज्ञ में यदि हम हर लेख आलेख हिंदी में उपलब्ध करा सकें तो यह हिंदी का सच्चा श्रृंगार होगा। मंचों पर भी वे क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के स्थान पर हिंदी को आगे बढ़ाने पर जोर देती है। उनके इन्हीं प्रयासों के कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद द्वारा महासचिव कोरबा, प्रशासन मंडल प्रेरणा हिंदी प्रचार सभा आदि पदों का दायित्व सौंपा गया है। पेशे से महिला चिकित्सक व दिल से कवयित्री डॉक्टर मंजुला साहू वर्तमान में विद्युत मंडल चिकित्सालय में वरिष्ठ महिला चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं ।विगत बाईस वर्षों से वे कोरबा में अपनी सेवाएँ दे रही है और अपने निष्ठा और समर्पित सेवा के लिए विभाग से कई बार सम्मानित हो चुकी हैं ।हाल ही में फ़ैक्ट्री एंड इंडस्ट्रियल हाइजीन की ट्रेनिंग व परीक्षा में उन्होंने प्रवीण सूची में स्थान पाया है ।यह परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होती है ।
साहित्य संस्थाओं द्वारा मंजुला साहू निर्भिक जी को सृजन साहित्य सम्मान, कृति नारी साहित्य सम्मान, निखिल शिखर साहित्य सम्मान, महिला सशक्तिकरण सम्मान, श्री हरि ठाकुर स्मृति सम्मान, कलम की सुगंध उत्कृष्ट प्रस्तुति सम्मान, विश्व भारती हिंदी सम्मान, कलम की सुगंध अप्रतिम प्रस्तुति सम्मान, काव्य रत्न सम्मान, अंतरराष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल उत्तम सृजन सम्मान, काशी कविता मंच वाराणसी, वीरांगना सम्मान, साहित्य रत्न सम्मान, मॉं भारती कला मंच जयपुर, उत्कृष्ट लेखनी सम्मान, काशी कविता मंच वाराणसी, हिंदी साहित्य भूषण सम्मान राष्ट्रीय प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा भारत आदि प्राप्त हो चुके हैं जो कि उनके सतत कार्य को चिंहित करता है।
संयोजन, कवि संगम त्रिपाठी हिंदी सेवी