मध्यप्रदेश के किसानों के लिये 35 करोड़ की परियोजना की मिली सौगात
जबलपुर दर्पण। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा मध्यप्रदेश व देश के कृषकों हेतु कुलपति डाॅ. प्रदीप कुमार बिसेन की सद्प्रेरणा व मार्गदर्शन में सतत् कृषि शिक्षा, शोध एवं विस्तार के कार्य जारी हैं। इसके साथ ही अनुसंधान व प्रजनक बीज एवं नवीनतम किस्मों को तैयार कर कृषकों को विष्वविद्यालय सौगात देने में हमेशा अग्रणी रहा हैं। परिणाम स्वरूप कृषकों के खेती में विविधीकरण हेतु दलहन फसलों को प्रमुख रूप से अरहर, चना, मूंग, उड़द, मसूर आदि के व्यापक रूप से कार्य करने व योजनाबद्ध तरीके एवं सही रोड मेप बनाकर कार्य करने हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा श्सेंटर आॅफ एक्सीलेन्स आॅन पल्स रिसर्च एण्ड डेव्हलपमेंटश् हेतु 35 करोड़ की परियोजना की सौगात प्रदान की गई। विष्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवायें डाॅ. जी. के. कौतू ने जानकारी देते हुये बताया कि दलहन विकास के क्षेत्र में विष्वविद्यालय द्वारा विपुल उत्पादन देने वाली दलहनी फसलों की प्रजातियों का विकास किया गया है। जैसे चना (29 किस्मे) अरहर (3 किस्म), मूंग (2 किस्म), उड़द (1 किस्म), मसूर (2 किस्म) तथा मटर (2 किस्म) देष के 40 प्रतिषत रकबे में विष्वविद्यालय द्वारा विकसित चना फसल की खेती की जाती है। परिणाम स्वरूप सेंटर आॅफ एक्सीलेन्स परियोजना की सौगात विष्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का अथक मेहनत व शोध को है। यह परियोजना 3 वर्ष हेतु दलहनी फसलों के शोध, नई किस्मों को विकसित करना व कृषकांे के बीच कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से फसल विविधीकरण हेतु प्रक्षेत्र परीक्षण एवं प्रषिक्षण के कार्य आयोजित किये जायेंगे। दलहन परियोजना के रबी मौसम की फसलों हेतु समन्वयक की भूमिका विष्वविद्यालय के चना फसल की ख्यातिलब्ध वैज्ञानिक डाॅ. अनीता बब्बर एवं खरीफ मौसम की फसलों हेतु समन्वयक की भूमिका डाॅ. संजय सिंह, कृषि वैज्ञानिक द्वारा किया जायेगा।