नर्मदा नदी क्रासिंग में कम सैग और अधिक क्षमता कंडक्टर का हुआ उपयोग
जबलपुर दर्पण। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की मंशानुसार मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने नवाचार करते हुए परंपरागत एसीएसआर कंडक्टर के स्थान पर अधिक क्षमता तथा कम सैग वाले एसीसीसी कंडक्टर का उपयोग नर्मदा नदी क्रासिंग में किया है।
नर्मदा नदी में बने सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ने ये बड़वानी एवं धार जिले के मध्य ग्राम अवाली एवं गोपालपुरा के करीब नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में विस्तार हुआ, जिससे जल भराव का ऊँचाई स्तर काफी बढ़ गया था। ऐसी परिस्थिति में 220 केव्ही लाइन को नर्मदा नदी के 750 मीटर चौड़े पाट को पार कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। अत्याधिक ऊँचे जमुना क्रॉसिंग टावर पर परंपरागत कंडक्टर को खींचने के बाद भी कंडक्टर की पानी से दूरी सुरक्षा मानकों से कम हो जाती। इस स्थिति में ट्रांसमिशन कंपनी के इंजीनियर्स ने नवाचार कर एक नए प्रकार के कंडक्टर का उपयोग करने का निर्णय लिया, जिसमें कार्बन फाइबर की कोर है। यह कंडक्टर परंपरागत एसीएसआर कंडक्टर से अधिक मज़बूत तथा अधिक करंट वहन करने में सक्षम है। इस कंडक्टर का दो टावर्स के मध्य में झुलाव या सैग परंपरागत एसीएसआर कंडक्टर से बहुत कम है। साथ ही यह कंडक्टर तुलनात्मक रूप से गर्म भी कम होता है। 220 केवी सबस्टेशन जुलवानिया से 220 केवी सबस्टेशन कुक्षी तक 220 केवी लाइन के निर्माण में नर्मदा नदी क्रासिंग में इस कंडक्टर का उपयोग किया गया है।