शासन की अनदेखी से संविदा कर्मियों में रोष नियमित न किया जाना संविदा कर्मियों पर मांसिक आघात
जबलपुर दर्पण। मध्य प्रदेश जागरूक अधिकारी कर्मचारी संगठन के जिलाध्यक्ष राॅबर्ट मार्टिन ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि प्रदेश में लाखों संविदा कर्मचारी विभिन्न विभागों में अपनी सेवा लगभग 20 से 25 वर्षो से संविदा नियुक्ति पर देते आ रहे हैं परंतु उन्हे आज दिनांक तक नियमित नहीं किया गया। साथ ही ये संविदा कर्मी सभी विभागों में नियमित कर्मचारियों के समान ही कार्य करते है परंतु वेतन उन्हे समान कार्य समान वेतन के अनुसार या अनुरूप नहीं मिलता जबकि ये संविदा कर्मी अपनी पूरी लगन और मेंहनत से ईमानदारी से अपने कार्यों का निर्वहन करते है परंतु उन्हे वे सभी वित्तीय लाभ नहीं मिलते जो नियमित कर्मचारियों को मिलते हैं। शासन-प्रशासन के द्वारा उन्हे समय-समय पर आशवासन तो मिलता रहा है कि उन्हे अति शीघ्र नियमित किया जाएगा परंतु आज दिनांक तक किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं हुआ। जिससे वे मानसिक रूप से हताष, परेषान और हलाकान हैं कि आखिर विभागों के द्वारा पूरा कार्य उनसे लिया जाता है या यूं कहें कि कई विभागों के कार्य संविदा कर्मचारियों पर ही निर्भर करते हैं परंतु उन्हे वे लाभ नहीं मिलते जो नियमित कर्मचारियों को मिलते हैं यही वजह है कि शासन की अनदेखी से संविदा कर्मियों में रोष व्याप्त है।
संघ ने आगे बताया कि ये संविदा कर्मी प्रदेष के विभन्न कार्यालयों जैसे जिला षिक्षा केन्द्र, बी.आर.सी. कार्यालय, कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत, तहसील कार्यालय, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, बी.ई.ओ कार्यालयों में आॅपरेटर, लेखा सहायक, एकाउन्टेंड के रूप में कार्य करते आ रहे हैं साथ ही स्वास्थ से संबधित कार्यालयों एवं अस्पतालों जैसे मेडिकल, विक्टोरिया एवं अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में आयुष चिकित्सक, फार्मासिस्ट, लैब टेक्निषयन, स्टाॅफ नर्स, डाटा मेनेजर तथा अन्य समस्त पेरामेडीकल स्टाॅफ के रूप में ये लम्बे समय से नियुन्तम वेतन पर कार्य करते आ रहे है। समय-समय पर संगठन द्वारा संविदा कर्मचारियों की मांगो को लेकर धरना प्रदर्षन एवं हड़तालें की गयी और शासन-प्रषासन के द्वारा इन्हे नियमित करने का आषवासन भी दिया गया परंतु कभी भी अपनी घोषणाओं पर शासन द्वारा अमल नहीं किया गया फलस्वरूप आज भी ये संविदा कर्मचारी नियमित्ता को लेकर आष्वत हैं कि कभी तो इनकी सुनी जाएगी।
संघ के जिलाध्यक्ष राॅबर्ट मार्टिन, हेमंत ठाकरे, शहीर मुमजाज़, दिनेष गौड़, राकेष श्रीवास, सतीश त्रिपाठी, उमेष ठाकुर, अफरोज़ खान, सुनील झारिया, प्रदीप पटेल, एनेास विक्टर, आर.पी.खनाल, क्रिस्टोफर नरोन्हा, गुडविन चाल्र्स, राॅबर्ट फ्रांसिस, रवि जैन, सुधीर पावेल, संतोष चैरसिया, त्रिलोक सिंह, अनूप सिन्हा, समर सिंह ठाकुर, सुनील स्टीफन, रामकुमार कतिया, शरीफ अंसारी, रऊफ खान, राजेष सहारिया, विनोद सिंह, आषाराम झारिया, अजय मिश्रा, गोपीषाह, चैतन्य कुषरे, आषीष कोरी, वसुमुद्दीन आदि ने शासन-प्रषासन से मांग पूरी ना होने पर उग्र आ