संपादकीय/लेख/आलेख

परिणामोन्मुखी नवाचार, परीक्षा पे चर्चा

आलेख : डॉ नितेश शर्मा
लेखक प्रदेश संयोजक,
शिक्षक प्रकोष्ठ मप्र भाजपा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की संसदीय राजनीति के मानक ही नही बदले है बल्कि वे नवाचारों के अधिष्ठाता भी हैं।लाल किले की प्राचीर से स्वच्छता की बात हो या फिर हर घर तिरंगा जैसा राष्ट्रव्यापी अभियान।कोई कल्पना भी नही कर सकता था कि भला प्रधानमंत्री भी कभी बच्चों से उनकी पढ़ाई और फिर परीक्षा पर चर्चा भी कर सकते हैं।
परीक्षा एक ऐसा शब्द है जिसका नाम सुनते ही मन में एक अदृश्य भय और तनाव प्रवेश कर जाता है। चाहे बालक हो या युवा,किसी भी आयु का कोई भी व्यक्ति क्यों न हो, परीक्षा का नाम सुनते ही एक भिन्न प्रकार का मानसिक दबाव महसूस करने लगता है। इसका परिणाम यह होता है कि परीक्षार्थी अपनी प्रतिभा का संपूर्ण प्रदर्शन नहीं कर पाता। अनेक बार यह देखने में आया है कि बोर्ड परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्द्यार्थी परिणाम आने से पहले ही आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। परीक्षा के तनाव को दूर करने के उद्देश्य से नरेंद्र मोदी 2016 से हर वर्ष देश भर के बच्चों से परीक्षा पे चर्चा करते है।प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों को जरूरी टिप्स देने के लिए ‘एग्जाम वॉरियर्स’ नामक पुस्तक भी लिखी है। इसमें 28 मंत्र दिए गए हैं ।इतना ही नहीं पुस्तक में प्रधानमंत्री ने अभिभावकों के लिए भी 8 सुझाव भी दिए हैं। परीक्षा के समय केवल विद्यार्थी ही नहीं अपितु माता-पिता के ऊपर भी दबाव रहता है। विद्यार्थी का तनाव उसके अभिभावकों को भी परेशान करता है इसलिए विद्यार्थी और अभिभावक दोनों का ही जागरूक होना नितांत आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने पुराने ढर्रे पर चली आ रही शिक्षा व्यवस्था में अनेक संशोधन किए हैं किंतु फिर भी आज के प्रतियोगी युग में जहां विद्यार्थी के ऊपर परिवार , समाज का दबाव रहता ही है। प्रधानमंत्री द्वारा लिखित इस पुस्तक में बताया गया है कि बोर्ड परीक्षा पूरे जीवन की अंतिम परीक्षा नहीहै।यह जीवनारम्भ है। इसलिए परीक्षा, परीक्षा के लिए है परीक्षा जीवन पर हावी न हो जाए, परीक्षा जीवन के आनंद को नष्ट न कर दे इस बात की प्रेरणा विद्यार्थियों को सतत दी जानी चाहिए। परीक्षा को सजगता के साथ फेस करें न कि उसे जीवन मरण का प्रश्न बनाएं।
प्रधान मंत्री का यह विचार बहुत ही प्रेरणादायक है कि विद्यार्थियों को जितना संभव हो दूसरों से प्रतिस्पर्धा करने से बचना चाहिए, हमें दूसरे से नहीं अपितु अपने आप से स्पर्धा करना सीखना चाहिए। जब हम स्वयं से स्पर्धा करेंगे तब हम निरंतर अपने आप को बेहतर बनाने का प्रयास करते रहेंगे। इसलिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने इस बात पर विशेष बल दिया है कि हम अपने विद्यार्थियों को स्वयं अपने आप से स्पर्धा करना सिखाए। उन्हें प्रतिस्पर्धा नहीं अपितु अनु स्पर्धा करना सिखाए। परीक्षाओं के समय विद्यार्थियों के ऊपर एक नकारात्मक प्रभाव हावी होने लगता है। कई बार या देखने को मिलता है कि विद्यार्थी पहले से याद किया हुआ भूलने लगते हैं। कुछ विद्यार्थी ऐसा कहते हैं कि अब उन्हें नया याद करने में कठिनाई हो रही है। इस सब के पीछे का कारण क्या है ? इस सब के पीछे का महत्वपूर्ण कारण है तनाव और मानसिक हम यह जानते हैं कि हमारा मन तनाव की स्थिति में चीजों को इतनी आसानी से ग्रहण नहीं कर पाते जितना कि उत्साह की स्थिति में ग्रहण करता है। विद्यार्थी को जब ऐसा लगे कि उसे परीक्षा के समय पहले से याद किया हुआ वह भूल रहा है तब हमें उसे शांत और निश्चिंत हो जाने के लिए कहना चाहिए, कुछ विद्यार्थियों में यह देखने में आता है कि परीक्षा के समय भी अपने सोने के समय में बड़ी कटौती कर देते हैं जबकि सोने से हम अपने मस्तिष्क को आराम देते हैं जिससे कि वह पुनः कार्य करने के लिए तैयार हो सके। अतः हर स्थिति में विद्यार्थियों को परीक्षा के समय पर्याप्त नींद लेते रहना चाहिए। विद्यार्थी इस देश का भविष्य है और परीक्षा इस देश के भविष्य को बनाने के लिए है उन्हें तनाव देने के लिए नहीं इसलिए समाज के सभी शिक्षकों को बुद्धिजीवियों को एवं जागरूक नागरिकों को एक साथ मिलकर अपने आसपास घर परिवार के विद्यार्थियों को तनाव मुक्त परीक्षा देने के लिए प्रेरित करना चाहिए। विद्यार्थियों के साथ परीक्षाओं के समय में एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ एक आत्मीय भाव के साथ व्यवहार करना चाहिए एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सब का यह कर्तव्य है कि बच्चों को नंबरों की अंधी दौड़ की ओर धकेलने से बचें। प्रसन्नता की बात है कि हमारे प्रधान मंत्री स्वयं बच्चों से बात करके उनमें सकारात्मक भाव जागृत करने के लिए परीक्षा पे चर्चा के माद्यम से बच्चों से सीधे जुड़ते हैं हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों को इस आयोजन का सीधा प्रसारण सुनवाकर उन्हें लाभान्वित करें।

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