सिद्धेश्वरी माता मंदिर में होने वाली संध्या आरती में झूमें श्रद्धालु

मंदिर परिसर में उमड़ा भक्तों को जनसैलाब
पाटन/दैनिक जबलपुर दर्पण। नगर की सिद्धपीठ,सिद्धेश्वरी माता मंदिर की रोज़ाना संध्या आरती श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम बन गई है। जैसे ही आरती की घंटियां गूंजती हैं,पूरा मंदिर परिसर एक अलौकिक ऊर्जा से भर जाता है। श्रद्धालु दीप जलाए माता की स्तुति में लीन हो जाते हैं,और वातावरण में घुलती भक्ति रस की ध्वनि मन को शांति प्रदान करती है। आरती के समय मंदिर की सजावट,दीपों की रौशनी और गूंजती स्तुति मंत्र श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। यहां आने वाले भक्त कहते हैं कि यह अनुभव शब्दों में नहीं,केवल ह्रदय से महसूस किया जा सकता है। पार्षद दीपक जैन बताते है की सिद्धेश्वरी माता की आरती में जब नन्हे मुन्ने बच्चे एवं बच्चिया साथ ही युवाओं की टोली,माताएं बहने जब माता की आरती ढोलक – मंजीरा की धुन पर गाती है तब सिद्धेश्वरी माता परिसर में छलकती है भक्ति की सरिता। प्रतिदिन होने वाली आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है,बल्कि श्रद्धालुओं के लिए सिद्धेश्वरी माता मंदिर से आत्मिक जुड़ाव का माध्यम बन चुकी है। जैसे ही शंखनाद और घंटी की ध्वनि गूंजती है,श्रद्धालु भक्ति में डूब जाते हैं। हर शाम मंदिर परिसर में एक अद्वितीय शांति और ऊर्जा का संचार होता है। आरती के समय माता का श्रृंगार और दीपों की पंक्तियां दर्शनार्थियों को भाव-विभोर कर देती हैं। भक्त जन आरती में भाग लेकर अपने दिन भर की सारी थकान और तनाव भूल जाते हैं,और माता की भक्ति में लीन हो जाते हैं।









