बलराम के जन्म उत्सव पर हरछठ का पर्व
कटनी/बड़वारा दर्पण। संतान की दीर्घायु की कामना को लेकर रखा जाने वाला पर्व हलष्टमी 28 अगस्त शनिवार को उत्साह के साथ मनाया गया।
घर घर हुई पूजा अर्चना – आज शनिवार को सुबह से महिलाओं ने दिन भर व्रत रखकर दोपहर को पूजा अर्चना कीया और ये सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। इसके पहले सुबह से ही महिलाएं तैयारी में जुट रही । वही ये मान्यता है कि इस दिन बलराम देव का जन्म हुआ था, इस दिन जो महिला व्रत रखती है, उसके पुत्र को लंबी आयु प्राप्त होती है।
पुत्रों की दीर्घायु के लिए रखा गया हरछठ का व्रत-बलराम जी के जन्म उत्सव हरछठ का पर्व है शनिवार को माताएं श्रद्धा पूर्वक यह व्रत पुत्र की लंबी उम्र सुख व संपन्नता की कामना के लिए हरछठ भाद्रपद कृष्ण पक्ष की छठ को यह व्रत महिलाओं द्वारा रखा जाता है। महिलाओं ने हरछठ पर मिट्टी के बर्तन में भुने हुए लाई, महुआ,अनाज, मेवा भरकर पूजन में रखा। पलाश की शाखा,बेरी की शाखा, कांसा को दोना में या जमीन की मिट्टी में लगाकर पूजन किया गया। इस दिन व्रत रखकर शाम को पसई के चावल, फल, भेंस का दूध घी दहीं एवं उबले भुने हुए महुआ का सेवन कर व्रत का परायण किया।
सदियों पुराना रिवाज-यह चावल सप्ताह भर पहले बाजार में पहुंच गया। कई स्थलों पर इसकी खूब बिक्री भी हुई। तो वही कोई मिट्टी से बने कुल्हड़ की दुकान सज गई । लोगों द्वारा इस की खरीदी भी की गई। इस पूजन और व्रत की खास बात है कि इसमें हल चले किसी भी सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता। ऐसा माना जाता है कि बाँस से बनी टोकनी का पूजन करने से वंश(पुत्र)की उम्र बढ़ती है। इस सामग्रियो से व्रत समापन का सदियों पुराना रिवाज है इस बार भी 28 अगस्त को हरछठ का व्रत पूरे उत्साह के साथ रखा गया।
लगातार बढ़ रही मंहगाई से बिगड़ रहा घर का बजट, बाजारों में दिखाई दिया मंहगाई का असर-बड़वारा व गांव के बाजार में इन दिनों पसई का चावल 80 रूपऐ किलो के हिसाब से बिका। गत वर्ष भी 70 रुपये पर चावल लोगों ने खरीदा था हलाकि मिट्टी के बने चुकुडिया व अन्य पूजन सामग्रियों के दाम पर 10 -15 फ़ीसदी की बढ़ोतरी देखी गई।