मध्य प्रदेशशहडोल दर्पण

नगर में गणेश उत्सव की धूम….

शहडोल र्दपण। आज देशभर में गणेश उत्सव की धूम है इसी तारतम्य में शहडोल जिले के कई स्थानों एवं घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित कर भक्तजन पूजा अर्चना में लीन है

*आप भी जाने गणेश भगवान को*

गणेश पुराण के मुताबिक भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी पर प्रकट हुए थे भगवान गणेश

19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर किया जाएगा गणेश विसर्जन

10 सितंबर, शुक्रवार को ब्रह्म और रवियोग में गणपति स्थापना होगी। इस दिन से गणेशोत्सव शुरू होगा और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन किया जाएगा। पुराणों के मुताबिक भगवान गजानन का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्याह्न काल यानी दोपहर में हुआ था।
जो इस बार दोपहर 12.20 से 01.20 तक है। इसलिए विद्वानों ने इसी समय गणेश स्थापना करने पर जोर दिया है। इसके साथ ही गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना के लिए दिनभर में 4 शुभ मुहूर्त हैं। पुराणों और ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक सूर्यास्त के बाद मूर्ति स्थापना नहीं की जाती है, लेकिन इस दिन गोधूलि मुहूर्त में गणेश स्थापना शुभ मानी गई है।
कुछ लोग शुभ चौघड़िया में स्थापना और पूजा करते हैं। उनके लिए मुहूर्त:
सुबह 6.10 से 10.40 तक (चर, लाभ और अमृत)
दोपहर 12.25 से 1.50 तक (शुभ)
शाम 05 से 6.30 तक (चर)
गणपति की दाईं और बाईं सूंड का महत्व
जिस मूर्ति में गणेशजी की सूंड दाईं ओर हो, उसे सिद्धिविनायक स्वरूप माना जाता है। जबकि बाईं तरफ सूंड वाले गणेश को विघ्नविनाशक कहते हैं। सिद्धिविनायक को घर में स्थापित करने की परंपरा है और विघ्नविनाशक घर के बाहर द्वार पर स्थापित किए जाते हैं। ताकि घर में किसी तरह का विघ्न यानी परेशानियों का प्रवेश न हो सके। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए बाईं ओर मुड़ी हूई सूंड वाले और घर के लिए दाईं सूंड वाले गणपति जी को श्रेष्ठ माना जाता है।
मिट्‌टी के गणेश शुभ
गणेशजी की मूर्ति मिट्‌टी की होनी चाहिए, क्योंकि मिट्टी में स्वाभाविक पवित्रता होती है। ज्योतिषियों और धर्मशास्त्रों के जानकारों का कहना है कि मिट्टी की गणेश प्रतिमा पंचतत्व से बनी होती है। उस मूर्ति में भूमि, जल, वायु, अग्नि और आकाश के अंश मौजूद होते हैं। इसलिए उसमें भगवान का आह्वान और उनकी प्रतिष्ठा करने से कार्य सिद्ध होते हैं।
मिट्टी के गणेश की पूजा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। वहीं प्लास्टर ऑफ पेरिस और अन्य केमिकल्स से बनी मूर्तियों में भगवान का अंश नहीं रहता। इनसे नदियां भी अपवित्र होती हैं। ब्रह्मपुराण और महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि नदियों को गंदा करने से दोष लगता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page