ओनलाइन प्रमाणित प्रति को न मानने पर, न्यायालय ने लगाया तहसीलदार पर जुर्माना
डिंडोरी निवासी चंद्रभूषण ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की थी याचिका
डिंडोरी,जबलपुर दर्पण न्यूज। डिंडोरी जिला मुख्यालय निवासी चंद्रभूषण के दादा ने अपनी संपत्ति अपने पोते चंद्रभूषण को रजिस्टर्ड वसीयत द्वारा प्रदान की गई थी, जिसका नामांतरण के लिए चन्द्र भूषण ने नायब तहसीलदार समनापुर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। बताया गया कि नायाब तहसीलदार समनापुर ने चन्द्र भूषण का नाम भू-अभिलेख में नही चढ़ाया जा रहा था, जिस कारण चंद्रभूषण द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका वर्ष 2021 में दायर की गई थी। उच्च न्यायालय जबलपुर ने तहसीलदार को आदेशित किया गया कि आवेदक के आवेदन का निराकरण विधिनुसार किया जावे, किन्तु तहसीलदार ने आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आवेदक ने उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश की प्रमाणित प्रति उपलब्ध नही कराई है।व्यथित होकर चंद्रभूषण को दोबारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण लेनी पड़ी और न्यायालय ने तहसीलदार के आदेश की कड़ी निंदा करते हुए कहा गया कि कोरोना के कारण जब सभी दफ्तर बंद थे, तो आवेदक को ऑनलाइन प्रमाणित प्रति दी गई थी, किन्तु तहसीलदार द्वारा उसे प्रमाणित प्रति नही मानकर आवेदन निरस्त कर दिया। जबकि तहसीलदार चाहते तो उच्च न्यायालय की आधिकारिक साइट पर जाकर आदेश की प्रति प्राप्त कर सकते थे, किंतु उन्होंने ऐसा नही किया तथा आवेदक को मजबूर किया दोबारा न्यायालय की शरण मे जाए। न्यायालय ने गंभीरता को देखते हुए नायाब तहसीलदार समनापुर का आदेश निरस्त किया जाता है, साथ ही जिम्मेदार तहसीलदार के ऊपर पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। उच्च न्यायालय जबलपुर ने आदेश पारित करते हुए नायाब तहसीलदार समनापुर को निर्देशित किया कि याचिकाकर्ता चंद्रभूषण की आवेदन का जल्द निराकरण करें। गौरतलब है कि पूरे मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष मिश्रा एवं अधिवक्ता आकाश यादव ने पैरवी की है।