जैविक खेती हेतु सर्वोत्तम आदान है जवाहर जैव उर्वरक

जबलपुर दर्पण। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार बिसेन की सतत रणा से मृदा विज्ञान विभाग द्वारा संचालित सूक्ष्मजीव अनुसंधान एवं उत्पादन केंद्र (जवाहर जैव उर्वरक केंद्र) में आज उपसंचालक कृषि एवं कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग, जिला जांजगीर, चांपा, छत्तीसगढ़ के जैविक खेती के किसानों का दल द्वारा विश्वविद्यालय का भ्रमण किया गया इस दौरान विश्वविद्यालय की विभिन्न जैविक खेती संबंधित महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारी प्राप्त की विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ जी. के. कौतू द्वारा बताया गया कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती के सपने को साकार करने के दृष्टिकोण से कार्य किया जा रहा है इसी के अंतर्गत विश्वविद्यालय में संचालित जैविक खेती से संबंधित चल रहे फसलों पर शोध कार्य एवं विश्वविद्यालय में उत्पादित जैविक कीटनाशक, जैविक जैव उर्वरक के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की, जवाहर जैव उर्वरक केंद्र के प्रभारी एवं मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एन जी मित्रा के द्वारा केंद्र में किए गए महत्वपूर्ण अनुसंधान के अंतर्गत उत्पादित समस्त फसलों में उपयोग किए जाने वाले जवाहर जैव उर्वरक की जानकारी प्रदान की गई।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ शेखर सिंह बघेल द्वारा जैविक खेती उपयोग किए जाने वाले विभिन्न कल्चर की जानकारी प्रदान की गई एवं जवाहर जैव उर्वरक की फसलों के अनुसार उपयोग एवं फसलों में किस तरीके से उपयोगी एवं आवश्यकता विषय पर व्यापक जानकारी प्रदान की गई।
डॉ राकेश साहू वैज्ञानिक द्वारा जवाहर जैव उर्वरक केंद्र की विभिन्न उत्पाद राइजोबियम, एजोटोबेक्टर, एजोस्पिरिलम, एसीटोबेक्टर , नील हरित शैवाल, पीएसबी, माइक्रोराइजा, के एस बी , जेड एस बी , बायोफटिसोल , ट्राइकोडरमा, बायोडायजेस्टर आदि के उपयोग एवं फसलों के अनुसार कितनी मात्रा में उपयोग करना चाहिए एवं इसके विभिन्न प्रकार के मिट्टी, पर्यावरण एवं पौधों पर कैसा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है कैसे लागत में कमी आती है इस विषय पर संपूर्ण जानकारी प्रदान की गई, छत्तीसगढ़ से आए किसानों द्वारा जैविक खेती की दिशा में जवाहर जैव उर्वरक केंद्र द्वारा किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यों की प्रशंसा करते हुए अपने जैविक खेती में इन उत्पादों का उपयोग कर लाभ लेने की एवं छत्तीसगढ़ के और भी अन्य किसानों को जागरूक करने की बात कही।