मध्य प्रदेशसिंगरौली दर्पण

संत रामपाल जी के शिष्यों ने जयगुरुदेव के सत्संग में किया सत्यज्ञान का प्रचार

सिंगरौली दर्पण | देश-विदेश में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सत्यज्ञान का डंका बज रहा है। आये दिन देश के अलग अलग हिस्सों से संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा सत्यज्ञान के प्रचार की खबर भी सामने आती रहती हैं। ऐसी ही एक खबर बीते रविवार 9 अप्रैल को देश में ऊर्जा राजधानी के नाम से प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के बैढ़न स्थित एनसीएल ग्राउंड से सामने आई। जहाँ जयगुरुदेव पंथ का सत्संग कार्यक्रम हो रहा था जिसमें संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी भी पहुँचे और शांतिपूर्ण ढंग संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तकों ज्ञान गंगा, जीने की राह, गीता तेरा ज्ञान अमृत का प्रचार किया। अनुयायियों ने बताया कि इन अनमोल पुस्तकों में सभी धर्म शास्त्रों से प्रमाणित सत्यज्ञान मौजूद है। जिसमें पवित्र गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4, 16, 17 के अनुसार पूर्णसंत की पहचान बताई गई है कि जो संत, संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभागों को वेद अनुसार बता देगा वह पूर्णसंत संत यानि तत्वदर्शी संत होगा। जिसे कबीर परमेश्वर जी ने सरल शब्दों में बताया है कि “कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन (ब्रह्म) वाकि डार। तीनों देवा शाखा हैं, पात रूप संसार।। कबीर, हम ही अलख अल्लाह हैं, मूल रूप करतार। अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, मैं ही सिरजनहार।।” साथ ही, इन आध्यात्मिक पुस्तकों में पूर्ण परमात्मा की वास्तविक जानकारी बताई गई है कि जिस परमेश्वर ने सर्व सृष्टि की रचना की है उसका नाम कबीर है, वह कभी मां से जन्म नहीं लेता है। इस संदर्भ में संत गरीबदास जी कहते हैं “गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बन्दीछोड़ कहाय। सो तौ एक कबीर है, जननी जन्या न माय।।” संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने बताया कि इन पवित्र पुस्तकों में जयगुरुदेव पंथ के प्रवर्तक श्री तुलसीदास जी द्वारा साल 1971 में जिस महापुरुष के बारे में भविष्यवाणी की गई थी, उस तारणहार महापुरुष की जानकारी भी मौजूद है। जिसके बाद जयगुरुदेव पंथ के सत्संग में आये करीब 195 श्रद्धालुओं ने इन पवित्र पुस्तकों को नाममात्र के शुल्क पर प्राप्त कीं।

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