प्रधानमंत्री का अमेरिका दौरा
अमेरिका । भारत के प्रधानमंत्री 21 – 24 जून को अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं | इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन उन्हें रात्रि भोज दे रहे हैं | इस रात्रि भोज को लेकर गोदी मीडिया ने उन्हें विश्व का सबसे बड़ा नेता बताने का ढो़ल पिटने की कमर कस ली लगती हैं | यह कमर कितने इंच की हैं वो हमें नहीं पता हैं | तकनीकी आधार पर देखा जाये तो ऐसे भोज को एक देश का शिष्टाचार व पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की भाषा में सिर्फ़ बाजारवाद का पैंतरा कहते हैं |
भारतीय संस्कृति में भगवान माने जाने वाले अतिथि का स्वागत अमेरिका के राष्ट्रपति झुककर स्वागत करेंगे तो इसे उनकी विन्रमता व बड़पन माना जायेगा परन्तु इसी क्षण की फोटूओं के माध्यम से सिर्फ और सिर्फ भारतीय मीडिया व विशेष रूप से सोशियल मीडिया में क्षेत्रीय भाषा के अन्दर देश की जनता को भ्रमित करने की कोशिश होगी |
सच्चाई यह हैं कि भारत इस दौरे के दौरान करीबन 22,000 करोड़ खर्च कर नये हथियार व जिस अमेरिकी ड्रोन से आतंकवादी अल जवाहिरी को मारा उसे खरीदने का समझौता करेगा | इसे MQ-9B Drone बताया जा रहा हैं व तकनीकी के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा का पर्दा लगा रखा हैं |
यह उस समय का दौर चल रहा हैं जब बाइडेन सरकार आर्थिक हालात में फंसी हुई हैं | यदि बाइडेन सरकार तय सीमा से और अधिक लोन लेने के लिए संसद में बिल पास नहीं करा पाती हैं तो सरकार के लिए किसी तरह के नये पैंमेट के लिए पैसा नहीं होगा | इसे तकनीकी तौर पर अमेरिका दिवालिया या डिफाल्टर माना जाता हैं | जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव व भारत में आम चुनाव के पूर्व राजनैतिक हवाएं दिशा बनाने का प्रयास कर रही हैं |
मीडीया की खबरों में व्यापार की असली जानकारीयों के अभाव से लगता हैं कि इन हथियारों का सौदा सरकार टू सरकार के समझौते के तहत होगा | यह वही कानूनी जिन हैं जिसे लड़ाकू विमान रफाल के सौदे के समय बोतल से बाहर निकाला था |
यह हमें नहीं ज्ञात की भारत के उच्चतम न्यायालय में अटार्नी जनरल ने तथाकथित सरकार की तरफ से बन्द लिफाफे में क्या दिया कि फ्रांस सरकार से भारत की कार्यपालिका के सौदे को हथौड़ा पटक के सरकार टू सरकार का सौदा मनवा दिया गया | वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बंद लिफाफा लेने के सख्त खिलाफ हैं क्योंकि यह न्याय के प्राकृतिक नियम के खिलाफ हैं | हमेशा के लिये इसे अभी तक संवैधानिक व कानूनी जामा नहीं पहनाया हैं | यह सिर्फ मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ सिंह की व्यक्तिगत नैतिकता व मर्यादा पर टीका हैं | उड़िसा रेल हादसे ने देश की मालिक आम जनता को अच्छे से समझा दिया कि ऐसी नैतिकता व मर्यादा का कोई अर्थ नहीं हैं कि पूर्वतर कई रेलमंत्रियों ने रेल दुर्घटना को नैतिक जिम्मेदारी मानकर इस्तीफा दिया हो तो वर्तमान रेलमंत्री भी ऐसा ही आदर्श बनाकर पद की गरिमा प्रस्तुत करे |
अमेरिका की बाइडेन सरकार को तुरन्त पैसा चाहिए और उनकी जेब में यह सीधे आ रहा हैं | यदि चुनाव के अग्रीम दौर में अमेरिका के विपक्षी दलों ने इस सरकार टू सरकार नहीं सरकार टू कार्यपालिका के समझौते को वहां के सुप्रिमकोर्ट के संज्ञान मे ला दिया तो भुगतना तो भारत को ही पडेगा क्योंकि पैसा उसी का फंस जायेगा व अमेरिका तो राष्ट्रपति चुनाव की नया पार कर जायेगा | अमेरिका को न हथियार बेचने की मार्केटिंग करनी पडी, न हथियार देने पडे और इस्तेमाल करने के लिए उसे पैसा मील जाये | इसे ही भारत की स्कूलों में पढाई जाने वाली शिक्षा के मुहावरे में हिंग लगे ना फिटकरी और रंग भी चौखा आया कहते हैं |
अमेरिका के राष्ट्रपति जरूर भारत के प्रधानमंत्री को रात्रिभोज दे रहे हैं न कि श्री नरेंद्र मोदी जी को जो प्रधानमंत्री पद पर नौकरी कर रहे हैं | इसको व्यक्तिवाद का जामा पहना गोदी मीडिया गोबर में ढिंढोला फूलने की तरह उछल-कूद करने में लगा हैं |