अंरर्राष्ट्रीय दर्पण

फ्लाइट में अटकी सांसे: 2 साल की बच्ची को मौत के मुंह से खींच लाए एम्स के डॉक्टर

डॉक्टर धरती के भगवान होते हैं ये उस दो साल की बच्ची के माता-पिता के लिए चरितार्थ हो चुका है. बच्ची महज दो साल की थी. बच्ची के हाथ पांव ठंडे हो चुके थे. सांसें थम चुकी थीं. मां समझ नहीं पा रही थी क्या करें.उसने बहुत हिम्मत से विमान परिचारिकाओं से मदद की गुहार लगाई और विमान को नागपुर की ओर मोड़ने से पहले फ्लाइट क्रू ने एक घोषणा की. दिल्ली एम्स के पांच भगवान रूपी डॉक्टर उस बच्ची की जान बचाने में जुट गए मामला 27 अगस्त का है जब कर्नाटक के बंगलूरू से राजधानी दिल्ली आ रही विस्तारा एयरलाइंस की फ्लाइट यूके-814 में घोषणा होती है कि 2 साल की बच्ची की तबीयत अचानक खराब हो गई है. बच्ची सियानोटिक बीमारी से पीड़ित है. उसका इंट्राकार्डियक के लिए ऑपरेशन किया गया था. बच्ची की तबीयत इतनी खराब हो गई कि वह बेहोश हो गई. बच्ची की बिगड़ी तबीयत देख फ्लाइट में अफरा-तफरी की हालत हो गई इस बीच, फ्लाइट में मौजूद दिल्ली एम्स के पांच डॉक्टर डॉ नवदीप कौर- एसआर एनेस्थीसिया, डॉ. दमनदीप सिंह- एसआर कार्डियक रेडियोलॉजी, डॉ. ऋषभ जैन- पूर्व एसआर एम्स रेडियोलॉजी, डॉ. ओइशिका- एसआर ओबीजी, डॉ. अविचला टैक्सक- एसआर कार्डियक रेडियोलॉजी, भगवान बनकर आए और बच्ची को बचा लिया

सांस रुक गई थी हाथ-पैर पड़े थे ठंडे -दरअसल, जब डॉक्टरों को पता चला कि बच्ची की हालत बहुत बिगड़ गई है तो उन्होंने तुरंत जांच की. घटना की जानकारी देते हुए एम्स दिल्ली ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “हमेशा तैयार… एम्स परिवार.”

एम्स ने आगे लिखा, “बच्चे की जांच की गई उसकी नाड़ी गायब थी, हाथ-पैर ठंडे थे, बच्चा सांस नहीं ले रहा था और उसके होंठ और उंगलियां पीले हो गए थे.” उसे तुरंत सीपीआर दिया गया. इस दौरान फ्लाइट में ही IV कैनुला दिया गया.

एम्स ने आगे लिखा कि उस समय फ्लाइट में जो कुछ भी मौजूद था डॉक्टरों के पास उन्होंने उसका उपयोग करते हुए हर भरसक कोशिश की और आखिर में विजयी हुए एम्स ने एक्स किया, “ऑन एयर- टीम द्वारा कुशल कार्य और सक्रिय प्रबंधन का उपयोग करके सीमित संसाधनों के साथ तत्काल सीपीआर शुरू किया गया था. सफलतापूर्वक IV कैनुला लगाया गया, ऑरोफरीन्जियल वायुमार्ग डाला गया और बोर्ड पर निवासियों की पूरी टीम और बच्चे द्वारा एक आपातकालीन प्रतिक्रिया शुरू की गई आरओएससी यानी दिल की धड़कन और सांस आने तक वो उस बच्ची के इलाज में लगे रहे.

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