करोड़ों के सीएम राइज भवन में आई दरारें, ग्रामीणों ने उठाए गुणवत्ता पर सवाल
डिंडोरी, जबलपुर दर्पण ब्यूरो। जिले में हो रहे करोड़ों रुपए की लागत से सीएम राइज भवन निर्माण कार्यों में जमकर मनमानी चल रही है। बताया गया कि शासन के निर्धारित मापदंडों को ध्यान में न रखकर जिम्मेदार लोग मिलीभगत करके घटिया निर्माण कार्यों को अंजाम देकर मुनाफाखोरी कमा रहे हैं। ताजा मामला जिले के समनापुर जनपद अंतर्गत कंचनपुर गांव में बन रहे करोड़ों रुपए के सीएम राइज भवन से सामने आया है, जहां बिना बाउंड्रीवॉल के निर्माण कार्य को पूरा कराए ही करोड़ों के भवन निर्माण कराए जा रहे हैं, जबकि बिना बाउंड्री वॉल कार्य को पूरा कराए भवन निर्माण नहीं करना होता है। इसी तरह भवन निर्माण कार्य संबंधी जानकारियां भी नहीं लिखी गई है न ही सूचना पटल बनाया गया। सूत्रों की मानें तो करोड़ों रूपए की लागत से बन रहे भवन की गुणवत्ता ठीक नहीं है, यहीं कारण है कि पहली बारिश में ही पानी टपकने लगी है। आरोप लगाया गया कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा, जिससे नवनिर्मित भवन जल्दी ही जर्जर होने लगेगी।
जिम्मेदार ठेकेदार शासन के निर्धारित मापदंडों का नहीं रख रहा ख्याल
इसी तरह सीएम राइज स्कूल भवन कंचनपुर के निर्माण कार्य में मिट्टी युक्त रेत और डस्ट का उपयोग सहित ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य में जमकर धांधली की जा रही है। मिली जानकारी अनुसार सीएम राइज भवन के आधुनिक एवं बहुमंजिला भवन के पहले चरण के 38 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य किया जा रहा है। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने स्कूलों के निर्माण की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से डिंडोरी जिले सहित अन्य जिलों में बनने वाले स्कूलों के निर्माण कार्य की एजेंसी पीआईयू को न बनाकर मध्यप्रदेश भवन निर्माण निगम को इसकी जिम्मेदारी दी है। निगम की टेंडर प्रक्रिया के बाद ठेकेदार को निर्माण का ठेका मिला, जहां ठेकेदार के द्वारा भवन निर्माण का कार्य पिछले एक साल पहले ही शुरू कर दिया गया है। बीते रोज जबलपुर दर्पण की टीम ने जब मौके पर जाकर निरीक्षण किया तो स्कूल के चल रहे निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जाना पाया गया। ठेकेदार के द्वारा कार्यस्थल पर एस्टीमेट एवं डीपीआर सहित अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी का बोर्ड न लगाकर कार्यों को निपटाए जाना पाया गया। निर्माण में लग रही बालू में सिल्ट कंटेंट 5 प्रतिशत चलता है, लेकिन यहां जो रेत लगाई जा रही है, वहां सिल्ट प्रतिशत से अधिक सिल्ट कंटेंट की मात्रा देखी जा रही है। वहीं गिट्टी, सीमेंट, रेत का मिलान भी सही अनुपात में नहीं लगाया जा रहा है। मिट्टी मिक्स रेत एवं स्टोन क्रेशर के डस्ट मिलाकर पीसीसी निर्माण सहित अन्य कार्यों में लगाया जा रहा है। इस संबंध में ठेकेदार के प्रोजेक्ट मैनेजर साइट इंचार्ज जितेश से बात की गई तो उन्होंने मामले में कोई ठोस जवाब न देकर गोलमोल जवाब देकर फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब नींव ही कमजोर बनेगी तो ऊपर बनने वाली बहुमंजिला इमारत कैसे टिक पाएगी। निर्माण कार्य के दौरान साइट पर निगम का कोई भी अधिकारी एवं तकनीकी कर्मचारी मौके पर नहीं मिला। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि भवन निगम ने ठेकेदार को घटिया किस्म के मटेरियल का उपयोग करने की मौन सहमति दे रखी है। आदिवासी बाहुल्य जिला में करोड़ों के भवन अकुशल मजदूर व मिस्त्री के भरोसे तैयार करवाई जा रही हैं। फिलहाल अप्रशिक्षित मिस्त्री व मजदूरों से हो रहे करोड़ों के भवन निर्माण कितनी टिकाऊ होगी यह तो आने वाले समय में ही पता लगेगा।