मनरेगा में मजदूरी घोटाला,मजदूरों को 5 से 13 रुपये प्रतिदिन, जनता स्तब्ध

सीधी जबलपुर दर्पण। जिले के कुसमी जनपद पंचायत अंतर्गत मनरेगा योजना के तहत मजदूरी भुगतान में गड़बड़ियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मजदूरों को 261 रुपए प्रतिदिन की निर्धारित दर के बदले कहीं 5 रुपए तो कहीं 13 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया गया है।उल्लेखनीय हैं लेकिन कुसमी जनपद की ग्राम पंचायत कतरबार में जितेंद्र कुशवाहा की भूमि पर बने खेत तालाब कार्य में मास्टर रोल क्रमांक 16552 में मजदूरी ₹563 पैसे प्रतिदिन दर्शाई गई है। वहीं ग्राम पंचायत शंकरपुर में वन अधिकार के तहत बनाए गए खेत तालाब में मास्टर रोल क्रमांक 2044 पर मजदूरी ₹13.81 प्रतिदिन दर्ज है। यह हाल सिर्फ दो ग्राम पंचायतों का नहीं बल्कि कुसमी क्षेत्र की कई पंचायतों में मजदूरों की मेहनत के साथ इसी तरह का खिलवाड़ किया गया है।
जनपद सीईओ का गैरजिम्मेदाराना बयान – जब इस गड़बड़ी को लेकर जनपद सीईओ ज्ञानेंद्र मिश्रा से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने इस पर अनभिज्ञता जताई और रटे-रटाए अंदाज़ में जांच कराएंगे का जवाब देकर पल्ला झाड़ लिया।जबकि कुसमी जनपद में पहले भी ऐसे मामले उजागर हो चुके हैं। कुछ में कागज़ी कार्यवाही हुई, लेकिन सुधार की कोई स्थायी पहल अब तक नहीं की गई।
मजदूरों की मेहनत का उड़ाया जा रहा मज़ाक- 261 रुपए प्रतिदिन की दर पर मजदूरी देने का प्रावधान है, लेकिन पोर्टल पर दर्ज आंकड़े खुद इस लूट की पोल खोलते हैं। मजदूरों को 5 से 13 रुपए प्रतिदिन देना न सिर्फ मनरेगा की आत्मा के साथ धोखा है, बल्कि गरीबों के पेट पर लात मारने जैसा अमानवीय व्यवहार है।
16 जुलाई को चक्काजाम आंदोलन की चेतावनी- इस पूरे मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता आनंद सिंह ददुआ ने प्रशासन को चेताया है कि जनपद कुसमी अंतर्गत सभी पंचायतों मे ऐसे सभी भुगतान में अगर जल्द जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई,एवं मजदूरी भुगतान लंबित पाया गया तो वे 16 जुलाई को चक्का-जाम आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मजदूरी का मामला नहीं, यह आम जनता के साथ योजनाबद्ध ठगी है, जिसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों- कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।