‘कोरोना’ के अलावा लॉकडाउन है तनाव का असली खतरा .
टाटा सॉल्ट लाइट’ सर्वेक्षणनुसार
रिपोर्ट : के .रवि ( दादा। ) ,
दुनिया भर की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं व उद्योगों में कोविड-19 का व्यापक प्रभाव महसूस किया गया है . रेटिंग्स, रिसर्च, रिस्क व नीतिगत सलाहकारी सेवाएं प्रदान करने वाली, भारतीय विश्लेषक कंपनी, क्रिसिल ने बताया है कि आजादी के बाद यह देश की चौथी मंदी और उदारवाद के बाद की पहली मंदी होगी, और संभवत: यह अब तक की सबसे भयानक मंदी है . महामारी के चलते पैदा बेरोजगारी, वेतन में कटौती और बाध्यतापूर्ण वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) जैसी स्थिति ने स्वास्थ संबंधी कई समस्याए उत्पन्न की है, जैसे पर्याप्त नींद न ले पाना, पीठदर्द, थकान, तनाव, चिंता और यहां तक कि इसके चलते कुछ लोगों में चिड़चिड़ापन प्रवृत्ति भी पैदा हुई है . टाटा सॉल्ट लाइट’ के सर्वेक्षण से पता चला कि पुरुषों को वर्क और टेक रेज का शिकार होने की अधिक संभावना होती है . यद्यपि प्रतिक्रियादाताओं में से पांच-में-से-एक महिला (20 प्रतिशत) ने कार्य-संबंधी समस्याओं को तनाव का प्राथमिक कारण माना, लेकिन सर्वेक्षण से पता चला कि दरअसल आकस्मिक कार्य व तकनीकी संबंधी समस्याओं का सामना होने पर प्रमुख रूप से पुरुषों में गुस्सैल प्रवृत्ति देखने को मिली . वास्तव में, सर्वेक्षण में शामिल 64 प्रतिशत पुरुष और 58 प्रतिशत महिला प्रतिक्रियादाताओं ने बताया कि यदि छुट्टी के समय में या छुट्टी के दिन उन्हें काम करने के लिए कहा जाता है, तो वो आपा खो बैठते हैं . सर्वेक्षण में आगे पता चला कि जेनरेशन ज़ेड वाले प्रतिक्रियादाताओं (18-25 वर्ष की आयु) को तकनीकी संबंधी मामूली बाधा भी पैदा होने पर गुस्सा आ जाता है; वहीं 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले प्रतिक्रियादाता इस तरह की समस्याओं से शांतिपूर्वक निपटते हैं। आगे, जेनरेशन ज़ेड के छ:-में-से-एक प्रतिक्रियादाता (16 प्रतिशत) का दावा है कि उनके तनाव और परेशानी का सबसे सामान्य कारण तकनीकी समस्याएं हैं (जबकि 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले 12 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने यह बात स्वीकार की) . टाटा न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट, कविता देवगन ने बताया, ”भारत के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले विशेषकर पुरुषों की सबसे प्रमुख स्वास्थ समस्या है, उच्च रक्तचाप . अपनी जीवनशैली में स्वास्थवर्धक बदलाव लाएं . घर से काम करते हुए, बीच-बीच में कुछ देर खड़े हो जाएं या हर घंटे थोड़ा चल-फिर लें . होटलसे खाना ऑर्डर करने के बजाये घर पर पकाया हुआ परंपरागत भारतीय खाना खाएं . तेज कदम से टहलना, योग, तैराकी आदि जैसे व्यायाम करें . रात में 6 से 8 घंटे की भरपूर नींद लें . बताया गया है कि कोविड-19 की इस परिस्थिति ने उपभोक्ता के क्रय व्यवहार के स्वरूपों में भी बदलाव लाया है . एक्सेंजर की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ताओं के लिए आज दो प्रमुख प्राथमिकताएं हैं – पहला भोजन की बर्बादी न हो और दूसरा स्वास्थ के प्रति अधिक सजग रहते हुए खरीदारी करना . अधिकांश एफएमसीजी कंपनियों के उन उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है, जो स्वास्थवर्धक और पौष्टिक भी हों . टाटा कंजूमर प्रोडक्ट की प्रेसिडेंट – पैकेज्ड फ़ूड इंडिया, सुश्री ऋचा अरोड़ा ने बताया, ”कोविड-19 के चलते घर पर पकाये हुए ऐसे परंपरागत भारतीय भोजन की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है, जो स्वास्थवर्धक और पौष्टिक हैं . शुरुआती हफ्तों में, हमारे रेडी टू कूक की 6 ग्रेन खिचड़ी मिक्स, मल्टी ग्रेन चिल्ला मिक्स आदि की मांग में वृद्धि हुई .
टाटा सॉल्ट जैसो के लाईट सर्वक्षण का यह कदम लोगो के लिए कोरोना के चलते कारगर साबित हो सकता हैं .