संपादकीय/लेख/आलेख

न होता शकुनी तो न होता महाभारत युद्ध

महाभारत में कही भी ऐसा उल्लेख नहीं मिला है जहा कौटुंबिक जगड़े या युद्ध हुआ हो वैसा उल्लेख कही भी नही है।
कौरवों को मामा शकुनि ने बचपन से ही बरगला के उनके मासूम दिमाग में जहर भरता रहा।हर एक प्रसंग में दुर्योधन और सभी भाइयों को पांडवों से प्रतियोगिता करने के लिए उकसाता ,और कई प्रपंच कर ,उन लोगो को तरह तरह से परेशान करना ,यहांतक की रास्ते से हटाने की कोशिशें ही की।बचपन की बातें तो छोड़ो युवान होने पर भी उनको नाना प्रकार से दुःख देना,राज्य से निकाला देना, छ्या वेश में रहने के लिए मजबूर करना और क्या क्या नहीं किया? द्रौपदी चिर हरण जैसा जधन्य अपराध किया।और अंत में विनाशात्मक युद्ध– महाभारत जिसमे कौरवों का नाश हो गया और लाखों लोगो की जान गई।कर्ण जैसे कई योद्धा और अभिमन्यु जैसा बालक योद्धा भी सब के साथ मारे गए।
जो चालबाज शकुनी नहीं होता तो महाभारत नहीं होनी थी।
क्या आज के जमाने भी शकुनी नहीं है।शुकुनियो से दुनिया भरी पड़ी है।अपने देश में ही देखिए सिर्फ अपने फायदे के लिए देश और दुनिया के लिए मुसीबतों के पहाड़ खड़े करने वाले शकुनी ही है। छलकापट से देश और दुनिया में अशांति फैलाने वाले को और कोई उपमा दी जा सकती है?
क्या कभी शकुनी जन्म लेना छोड़ देंगे?दुनिया की महाभारते बंद हो जाएगी ?

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