साहित्य दर्पण

मेरे भारत की यही पहचान है…

मेरे भारत की यही पहचान है।
मेरी मिट्टी मेरी शान वतन की
रखना सलामत मेरे बच्चों संभाल के।

इस देश की हिफाजत में कुर्बान हो गये ,
कई भगतसिंह कई आजाद।
हिन्द हिमालय पर्वत मेरे मुकुट की शान बढ़ाता है।

इस देश को सुरक्षित तुम रखना अपने शोर्य वीरता की निशानी से।
मेरी आन मेरी शान हिम्मत वतन की तुम हो ।
तुमसे हमारा कल है तुम आज की हो आवाज ।

इस देश की खातिर तुम्हें हर जंग लड़ना पड़ेगा दुश्मन से।
जो आंख उठायेगा मेरे तिंरगे पर
उस आंख को बंद कर देंगे,
हम अपने वीरों की गोली से।

अपने वतन की रक्षा में मैं हर दम लडूंगा दुश्मन से,
मर गया तिंरगे की खातिर तो
अपने को धन्य समझूंगा मैं भारत माता के वीरों में।
________
शैलेन्द्र पयासी
युवा लेखक,स्वतंत्र पत्रकार
कटनी, मध्यप्रदेश

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