सृजनात्मक कार्य करना साधक का प्रथम कर्तव्य

जबलपुर दर्पण। राम को प्राप्त करने सच्चरित्र का पालन अनिवार्य है । भारत ऋषि – कृषि प्रधान देश है, दोनो को राष्ट्र निर्माण के निमित्त सृजनात्मक होना चाहिए।साधको को मार्ग प्रशस्त कर गुरूदेव ने चलने वाले राही को मंजिल मिल ही जाती जो घर से निकलते है सद्गुरूओ के बताये मार्ग पर चलने के लिए साधक को प्रण प्राण से प्रयास करना चाहिए। मनुष्य की इंद्रियो को प्रथम ज्ञान मां देती है। भक्ति सर्व सुलभ है, जैसे खेत मे मेढ बनी होने से जल संग्रहण होता है वैसे ही एकाग्रचित्त होकर सत्संग या कोई भी कार्य करने से साधक की जय जय कार संपूर्ण विश्व मे होती है। तुलसी की माला धारण करने के साथ-साथ गुरू के सदुपदेश को ग्रहण कर सृजनात्मक कार्य करना चाहिए। सृष्टि मे सृजनात्मक कार्य करना साधक का प्रथम कर्तव्य है। उक्त भावुकतापूर्ण सदुपदेश जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेशप्रपन्नाचार्य जी महाराज, जगद्गुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य ( कामदगिरी चित्रकूट)
जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामराजेश्वराचार्य ( रूकमणी पीठ कौन्डनयपुर ) श्रीजयरामदास जी महाराज ( श्रीशक्तिपीठ ललिताश्रम ) नरसिंहपीठाधीश्वर स्वामी डा नरसिंह दास महाराज , ने नरसिंह मंदिर मे साकेतवासी जगद्गुरुदेव डा स्वामी श्रीश्याम देवाचार्य महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रीमद्भागवत कथा, श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस पर कहे.
आज संत समागम मे स्वामी वासुदेवानंदजी, दादा पगलानंद जी, स्वामी विश्वनाथ पुरी महाराज, स्वामी सीताशरणजू सिध्दन ( लोढा पहाड),स्वामी राजारामाचार्य, रामबहादुर जी , स्वामी हनुमान दास, स्वामी बालकदास, स्वामी कालीनंद, आचार्य वासुदेव शास्त्री , दैवज्ञ अरूण शास्त्री,आचार्य देवेन्द्र त्रिपाठी , साध्वी मनीषादास, साध्वी शोभा, आचार्य अनूप देव महाराज, सुमनदास महाराज, पं लालमणि, पं रामफल प्यासी, आचार्य अरूणेश शास्त्री, सहित संत महात्माओ का सनिध्य प्राप्त हुआ।
देव लोक वासी नरसिंहपीठाधीश्वर परम पूज्यनीय जगद्गुरुदेव डा स्वामी श्यामदेवाचार्य जी महाराज की
प्रथम पुण्य तिथि के अवसर पर संत समागम के चतुर्थ दिवस सत्संग मे डा जितेंद्र जामदार, डा दीपक बहरानी, जगत बहादुर सिंह, रमेश काकाजी, श्याम साहनी, चंद्र कुमार भनोत, गुलशन माखीजा,गीता पाण्डेय, अशोक शर्मा,सावंलदास, शंकर खत्री, प्रवेश खेडा, विध्येश भापकर, डा संदीप मिश्रा, राजेन्द्र प्यासी, मुन्ना पांडे, डा हितेश अग्रवाल, उमा ठाकुर, संध्या दुबे, वीणा तिवारी, शिवकली मालवीय, रामलाल रजक, रमेश पाठक, राजेन्द्र यादव, मोहित, संजय शास्त्री, हिमांशु, राम जी, प्रियांशु, प्रवीण चौबे, अमित सहित वैदिक आचार्यो, श्रृध्दालुओ के साथ भारत के कौने कौने से आये भक्तो की उपस्थिति रही।