वन परिक्षेत्र शाहपुर में वर्षो से अजगर की तरह कुंडलीमार कर बैठा वनपाल दुबे
पोस्टिंग वन पाल की और बैठा है बाबू बनकर
शाहपुर संवाददाता -राजेश ठाकुर। जनजातीय बाहुल्य जिले की अपनी ही दास्तान है नियमों की सरे राह धज्जियां उड़ाना ही जिले जिम्मेदारों का दस्तूर बन गया है फिर चाहे मामला किसी भी विभाग से जुड़ा क्यों न हो इस जिले में यही कहावत चरितार्थ होती है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस ऐसा एक मामला है वन परिक्षेत्र शाहपुर का जहां वनपाल के पद पर कार्यरत मनोज दुबे लंबे अर्से से अपने मूल पद पद कार्य न करते हुए आफिस में बाबू बनकर बैठ कर भ्रष्टाचार की रेवड़ियां खा रहा है, गौरतलब है कि वन परिक्षेत्र शाहपुर में पदस्थ मनोज दुबे बतौर वनपाल की पोस्ट पर पदस्थ हैं, यह व्यक्ति जब से शाहपुर वन विभाग में पदस्थ हुआ तब से अब तक बाबू की कुर्सी में अजगर की तरह कुंडली मारे बैठा हुआ है, विश्वनीय सूत्रों की माने तो इनका तबादला भी एक मर्तबा हो चुका है लेकिन अपने रसूख के चलते आज भी शाहपुर में जमा हुआ है, और जमकर भ्रष्टाचार कर रहा है, वन परिक्षेत्र के अंतर्गत जितने भी निर्माण कार्य हो रहे हैं, उनमें इस भ्रष्ट बाबू के चहेतों के ठेकेदारों के ही बिल वाउचर लगते हैं, कुछ निर्माण कार्यों में ऐसे व्यक्तियों के नाम से मस्टरोल जारी कर दिए जाते हैं, जो ना तो कभी वन विभाग के कार्यों में कार्य करता है, और ना ही वन विभाग से उनका दूर-दूर तक संबंध होता है! ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी का ट्रांसफर क्यों नहीं हो पा रहा है, यह एक गंभीर जांच का विषय है।