तेल भंडार वाले मुल्क के असफलता के कगार पर पहुंचने की कहानी
पनामा पनामा और कोलंबिया के बीच पहाड़ों और वर्षावनों के बीच से गुज़रता 100 किलोमीटर लंबा रास्ता ‘डारिएन गैप’ कहलाता है।
दलदल, सांप, जंगली जानवरों और अपराध के व्यापक स्तर की वजह से यह दुनिया का सबसे ख़तरनाक माइग्रेशन रूट यानी प्रवास का रास्ता माना जाता है यहां से गुज़रते हुए कई लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. ज़मीन पर मध्य और दक्षिण अमेरिका को जोड़ने वाला यह एकमात्र रास्ता है मगर इस रास्ते से गुज़रने का जोख़िम उठाने वाले हज़ारों लोग ना तो कोलंबिया के हैं ना पनामा के. वो दरअसल दक्षिण में स्थित वेनेज़ुएला से आते हैं।वेनेज़ुएला का शरणार्थी संकट, लातिन अमेरिका का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है और इसकी गिनती विश्व के बड़े शरणार्थी संकटों में होती ।
वेनेज़ुएला के शरणार्थी संकट को समझने के लिए हमने बात की मारिया गैब्रियेला ट्रोंपोटेरो से जो जर्मनी की बीलफ़ेल्ड यूनिवर्सिटी में माइग्रेशन रिसर्चर हैं उनका कहना है कि पिछले सात सालों में लगभग 73 लाख लोग देश छोड़ कर चले गए हैंइनमें से अधिकांश लोग अन्य लातिन अमेरिकी देशों या कैरेबियाई देशों में चले गए हैं ।