पिपरिया पंचों ने जताई थी हमले की आशंका, एसडीएम कार्यालय में वोटिंग कराने की थी मांग

डिंडोरी/बजाग दर्पण। पिछले दो महिने से बॉक्साइट खदान की चर्चा प्रदेश स्तर में चल ही रही थी, तभी मंगलवार को हुए घटनाक्रम को देख सभी की रूह कांप गई। दरअसल बॉक्साइट खदान विरोध को लेकर देश भर में सुर्खियां बटोरने वाली ग्राम पंचायत पिपरिया में मंगलवार दोपहर जमकर बवाल हो गया। बताया जा रहा है कि सरपंच सरिता पट्टा के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर ग्राम पंचायत भवन में वोटिंग से पहले सरपंच के पति लोकनाथ यादव, जेठ चमरू यादव तथा उनके करीब 40 समर्थकों ने प्रस्ताव लाने वाले 17 पंचों पर पथराव व हमला कर दिया तथा कुछ पंचों को बेरहमी से पीटा भी गया। गौरतलब है कि करीब दो सप्ताह से पंच गांव से बाहर चले गए थे, मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करने गांव जा रहे थे, तभी सरपंच समर्थकों ने लगभग 16 पंचों को मतदान स्थल पर नहीं पहुंचने दिया गया तथा उनके वाहनों में तोडफ़ोड़ भी की गई, सरपंच समर्थकों ने गर्भवती पंच रोशनी पड़वार के साथ भी मारपीट की। इस हमले में उपसरपंच पन्ने लाल तथा पंच टंटू बगदरिया व सुखराम को गम्भीर चोटें आई हैं, बाकी अन्य पंचों को मामूली चोटें आईं है। पंचों पर हमले की सूचना मिलते ही एसडीएम रामबाबू देवांगन पुलिस व प्रशासन की टीम के साथ मौके पर पहुंचे, तथा घायलों को पंचायत भवन में लाने के बाद 100 नंबर की मदद से थाने लाया गया। हमले के विरोध में पंच समर्थकों सहित ग्रामीणों ने गांव की मुख्य रोड़ पर चकाजाम कर दिया। इस दौरान सरंपच व पंच समर्थकों के बीच जमकर तकरार हुई।
एसडीएम से मांग के बाद भी जंप बजाग में नहीं कराई गई वोटिंग
जानकारी अनुसार 28 मई को सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के साथ गांव से बाहर रह रहे 16 पंचों ने 2 दिन पहले मतदान के दिन उन पर हमले की आशंका जताई थी। एसडीएम को पत्र लिख कर वोटिंग एसडीएम या जनपद कार्यालय में कराने का निवेदन भी किया था। लेकिन एसडीएम के इस आश्वासन पर कि वहां पूरी व्यवस्था है, निडर हो कर गांव में जाइए, ये सभी पंच वाहनों से वोटिंग करने गांव जा रहे थे, तभी वोटिंग स्थल कुछ दूर घुर्री में इन पर हमला कर दिया गया। गांव में प्रशासन ने व्यवस्था के नाम पर केवल 10 पुलिस जवान तैनात किए थे, उक्त सुरक्षा बल गांव से करीब एक किलोमीटर दूर खड़े थी। वोटिंग की कार्रवाई पूरी करने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी तहसीलदार भरत सिंह वट्टी को सौंपी गई थी, सरपंच समर्थकों ने पीठासीन अधिकारी को तो गांव में जाने दिया, लेकिन उनकी टीम जिसमें आरआई, पटवारी सहित पुलिस व प्रशासन के अन्य लोग थे, उनको नहीं जाने दिया गया, गांव से एक किलोमीटर पहले ही उन्हें रोक दिया। ग्रामीणों व घायलों के अनुसार जो पुलिस वाले वहां मौजूद थे, लेकिन हमले के वक्त तमाशबीन बने रहे, हालांकि एसडीम देवांगन इस बात से इंकार करते नजर आ रहे हैं। देर शाम बजाग पुलिस ने पंच टंटू बगदरिया की शिकायत पर लोकनाथ यादव, चमरू यादव, रोहित पड़वार व अन्य के खिलाफ धारा १२६(२), २९६, ११५(२), ३५१(२), ३२४(४), ३(५) सहित एसटीएससी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया है। फिलहाल घंटों बीतने के बाद भी किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। टीआई अमृतलाल टिग्गा ने कहा कि मारपीट आदि के मामले में एफआईआर की जा चुकी है, ग्रामीणों द्वारा चक्काजाम को लेकर अभी प्रतिवेदन नहीं आया है। ग्रामीणों की मानें तो ग्राम पंचायत पिपरिया के पंच, सरपंच की उपस्थिति में ठीक 2 महीने पहले 11 अप्रैल को पेसा एक्ट के तहत बुलाई गई ग्राम सभा में क्षेत्र में आने वाली बॉक्साइट खदान परियोजना के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। इसके बाद शुरू हुई राजनीति के चलते पंचायत के 17 पंचों ने 28 मई को भ्रष्टाचार आदि के आरोपों के साथ सरपंच सरिता पट्टा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया, जिस पर मंगलवार को वोटिंग होनी थी। पीठासीन अधिकारी तहसीलदार वट्टी तो सम्मिलन स्थल पर पहुंच गए थे लेकिन उनके सहयोगी सहित विश्वास प्रस्ताव लाने वाले पंच नहीं पहुंचे थे। श्री वट्टी ने पंचायत भवन के बाहर घटित घटनाक्रम को लेकर कोई सार्वजनिक बयान नहीं आया है। उन्होंने मीडिया से कहा कि मैं अंदर था, बाहर क्या हुआ मुझे नहीं पता। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं हुई है, इस पर फैसले को लेकर सभी पंच तथा गांव वाले असमंजस की स्थिति में हैं। एसडीएम बजाग रामबाबू देवांगन ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कहा कि पिपरिया में हुए घटनाक्रम के मद्देनजर मंगलवार को सम्मिलन नहीं हो सका, इसलिए अब अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया नहीं हो सकती, तहसीलदार के प्रतिवेदन का इंतजार है।