शासकीय भूमि के नामांतरण पर कलेक्टर कोर्ट की रोक , पुन: भूमि को शासकीय अहस्तांतरणीय मद में दर्ज करने के आदेश

कटनी जबलपुर दर्पण । कटनी जिले की ढीमरखेड़ा तहसील में शासकीय अहस्तांतरणीय भूमि के नामांतरण को लेकर बड़ा प्रशासनिक मामला सामने आया है। कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने तत्कालीन एसडीएम विंकी उईके द्वारा पारित तीन विवादित नामांतरण आदेशों पर रोक लगाते हुए संबंधित भूमि को पुनः शासकीय अहस्तांतरणीय मद में दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्रकरणों की विधिक समीक्षा कर दोषियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के संकेत भी मिले हैं।प्राप्त जानकारी के अनुसार, म.प्र. शासन द्वारा पट्टे पर प्रदत्त शासकीय अहस्तांतरणीय भूमि को नियम विरुद्ध तरीके से नामांतरण किया गया था। इन तीन प्रकरणों में अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा स्पष्ट रूप से नामांतरण अस्वीकार किए गए थे, क्योंकि भूमि “मिसल बंदोबस्त” में कॉलम नंबर 12 के तहत शासकीय अहस्तांतरणीय दर्ज थी। बावजूद इसके, तत्कालीन एसडीएम विंकी उईके ने अपीलों में आदेश पारित कर पक्षकारों को लाभ पहुँचाया।विधि विरुद्ध आदेशों की शिकायत हाईकोर्ट जबलपुर के अधिवक्ता आशीष चौधरी ने राजस्व मंत्री, प्रमुख सचिव, संभागायुक्त एवं कलेक्टर को भेजी थी। इस पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने तीनों प्रकरणों को सुनवाई में लिया और 2 जून 2025 को स्थगन आदेश पारित करते हुए संबंधित भूमि को पुनः शासकीय मद में दर्ज करने के आदेश दिए।
तीन प्रमुख प्रकरणों की संक्षिप्त जानकारी:प्रकरण-1: ग्राम जमुनिया की खसरा भूमि (नं. 1, 13, 21, 22, 27) का नामांतरण आवेदन अधीनस्थ न्यायालय से निरस्त हुआ था। अपील में तत्कालीन एसडीएम ने आदेश पारित कर दिया।
प्रकरण-2:मौजा साहडार की भूमि खसरा नं. 45 (1.55 हेक्टेयर) पर वर्ष 2020 में नामांतरण खारिज हुआ था। धारा 5 की मियाद का उल्लेख किए बिना वर्ष 2025 में अपील पर नामांतरण आदेश पारित किया गया।
प्रकरण-3:उसी अपीलकर्ता अशोक कुमार कोल द्वारा मौजा साहडार की अन्य भूमि (ख.नं. 49) के मामले में भी वर्ष 2020 में नामांतरण खारिज हुआ था, लेकिन अप्रैल 2025 में अपील पर नियम विरुद्ध आदेश दे दिया गया।शिकायतकर्ता की ओर से यह भी आरोप लगाया गया है कि स्थानीय राजनीतिक प्रभाव के चलते गरीब और अशिक्षित लोगों के नाम पर शासकीय जमीनें पहले नामांतरित की जाती हैं और बाद में उनका विक्रय कर दिया जाता है, जो सीधे तौर पर पट्टा अधिनियम का उल्लंघन है।सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन एसडीएम द्वारा कुल 8 अपील प्रकरणों में नामांतरण के आदेश पारित किए गए थे।
यदि इन सभी मामलों की समुचित जांच करवाई जाए तो और भी घोटालों का पर्दाफाश हो सकता है। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि तत्कालीन एसडीएम की नियुक्ति अवधि के समस्त अपील प्रकरणों की जांच की जाए और शासन के हितों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई हो।