बीमारियों का तांडव, जवाबदार लापरवाह

मंडला। बीमारी चरम पर पहुंच गई है। कोरोना के अलावा कई तरह की बीमारियां लोगो को परेशान कर रही हैं। सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गई है। शहर व गांव के सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केन्द्र ज्यादा काम के साबित नहीं हो पा रहे हैं। डॉक्टर निजी डिस्पेंसरियों में मरीजों का उपचार करने में ज्यादा रूचि ले रहे हैं। सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केन्द्रों में अपनी कम उपस्थिति की सिर्फ औपचारिकता कर रहे हैं। मजबूरन डॉक्टरों की निजी डिस्पेंसरी में जाकर लोगों को इलाज करवाना पड़ रहा है। इस समय सर्दी खांसी बुखार उल्टी दस्त इत्यादि मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। सरकारी दवाएं कहां गायब हो रही है और किसे वितरित की जा रही है यह जांच का विषय बन गया है। स्वास्थ्य विभाग से संबंधित ये सभी लोग दवाओं का क्या उपयोग कर रहे हैं यह जांच का विषय बन गया है। लोग सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों में इलाज कम करवा रहे हैं, निजी डिस्पेंसरी में जाकर मरीज अपना अपना इलाज करा रहे हैं तो फिर सरकारी दवाएं कहां जा रहीं है ये विशेष जांच का विषय बन गया है। पूरी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था मनमानी, लापरवाही और धांधली की भेंट चढ़ गई है। सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों में मरीजों को तो ठीक से देखा ही नहीं जा रहा है। पीपीई किट होने के बावजूद भी मरीजों को छूने की कोशिश भी नहीं की जा रही है। गंदगी भी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों में चरम पर पहुंच गई है। ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों में पर्याप्त स्टाफ की कमी बनी हुई है जिनकी पदस्थापना स्वास्थ्य केन्द्रों मे हुई है उनमें से अधिकांश लोग अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवा रहे हैं। साफ सफाई और दवाई वितरण के लिए साथ में गांव-गांव घर-घर नागरिकों की जांच पड़ताल करने पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कोरोना के अलावा सभी तरह की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सभी तरह के उपाय साफ-सफाई, मास्क व सेनेटाइजर वितरण, दवा वितरण, टीकाकरण के कार्य नहीं किये जा रहे हैं। कुल मिलाकर मंडला जिले में नागरिकों का जीवन संकट में है और बीमारी तांडव कर रही है और बेहोशी में शासन प्रशासन के सभी जवाबदार डूबे हुए हैं। जनापेक्षा है सरकार शीघ्र ध्यान दे।