पर्यावरण की खूबसूरती बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारीः नाड़ी वैद्य पं.विनोद मिश्रा
…….विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व भर में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है पर्यावरण के नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ही यह दिवस मनाया जाता है। प्रकृति ने हमें इस खूबसूरत संसार में रंग-बिरंगे फूलों से लेकर कई तरह के पेड़ पौधे और पहाड़ नदी तालाब बाग बगीचे सब कुछ दिया है पर्यावरण की खूबसूरती को यूं ही बनाए रखना हम सब की जिम्मेदारी है। पेड़ हमें फल छांव और ऑक्सीजन देते हैं लकड़ी भी देते हैं इतना कुछ देते हैं फिर भी हम इंसान इन्हें अपने कुछ जरूरतों के लिए काट देते हैं इस पर्यावरण दिवस पर पेड़ पौधों की अहमियत को समझें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और दूसरे लोगों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करें और कोशिश करें उन पेड़ों से होने वाले औषधीय गुणों को जानने की कोशिश करें कि कौन सा पौधा कौन सा पेड़ किस औषधि में किस बीमारी में काम आता है तब हमारा लगाव पेड़ पौधों से और ज्यादा बढ़ेगा तभी उन्हें हम सहेजेंगे-सवारेंगे।
पर्यावरण हमें ऐसे बनाता है स्वस्थ
…..दुनिया भर में हुए अलग-अलग अध्ययनों से पता चला है कि प्रकृति हमें स्वस्थ बनाती है। अब विज्ञान भी मानने लगा है और कहता है कि प्रकृति हमारे मस्तिष्क शरीर भावनाओं और सोचने की शक्ति को भी प्रभावित करती है। और आयुर्वेद तो हजारों वर्षों से कहता आ रहा है कि हम यदि पेड़ पौधों और प्रकृति के जितना नजदीक रहेंगे जितना उनका उपयोग खाने पीने में करेंगे उतनी बीमारियां हम से कोसों दूर रहेंगी। और इस तरह अनेक स्वास्थ्य लाभ भी हमें प्रकृति से मिलते हैं।
जैसेः-प्रकृति याददाश्त बढ़ाती हैं, एकाग्रता बढ़ती है।
वजन घटाने में मदद करती है।
वायरस से लड़ने वाले वाइट ब्लड सेल्स बढ़ाती है।
आंखों की सुरक्षा के साथ रोशनी बढ़ाती है।
हमें विटामिन डी देती है।
इसके साथ ही कई बार हम यही देखते होंगे कि जानवर और पशु पक्षी जब कभी बीमार होते हैं या कभी उनको चोट लग जाती है तो नदी तालाब की मिट्टी में रेत में बिना कुछ हलचल किए घंटों को पड़े रहते हैं।और बहुत जल्द ही स्वस्थ हो जाते हैं। यह भी कह सकते हैं कि जो आजकल मड थेरेपी (कीचड़ चिकित्सा) का चलन विदेशों में भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है इसीलिए कई बार भारत आने वाली अंग्रेजों को भी हम देखते हैं कि स्विमिंग पूल में यह समुद्र के किनारे कम कपड़ों में धूप लेते हुए पड़े रहते हैं।
यह सब आयुर्वेद में बहुत पहले से ही हमारे आयुर्वेद के जानकारों ने ऋषि-मुनियों ने इस पद्धति को विस्तार से समझाया है इसे हम मृदा चिकित्सा के नाम से जानते हैं।
हमारी इन आदतों से होगी पर्यावरण सुरक्षा
1.भोजन की बर्बादी रोकेंगे तो हानिकारक गैसों का उत्सर्जन कम मात्रा में होगा अर्थात जितना जरूरत हो उतना ही भोजन बनाएं।
2. लैपटॉप वाईफाई टीवी पंखा कूलर फ्रिज एसी का उपयोग कम करेंगे तो कार्बन उत्सर्जन घटता है।
3. एक पेड़ लगाकर उसके बड़े होने पर हम 1 टन कार्बन डाइऑक्साइड कम कर सकते हैं।
4.कार की स्पीड 70 से कम रखें तो प्रदूषण लगभग 10% कम होता है।
5. लकड़ी और कोयले से भोजन बनाने से बचें आज ही दूर ग्रामीण पहाड़ी इलाकों में लकड़ी से ही भोजन बनता है इससे बहुत सारा वायु प्रदूषण होता है जिससे बहुत सारी बीमारियां भी होती हैं।
6. अपनी शादी की सालगिरह या जन्मदिन या खास मौके पर पेड़ जरूर लगाएं और उसे बड़ा होने तक उसकी सही देखभाल करें। यह सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए बच्चों में भी पैदा करें।
पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए यह सभी महत्वपूर्ण बिंदु मील का पत्थर साबित होंगे।