प्रतिबंध के बावजूद हो रहा सिंगल यूज्ड प्लास्टिक का क्रय, विक्रय, भंडारण एवं परिवहन
आलेख : आशीष जैन (उप संपादक) दैनिक जबलपुर दर्पण
वर्तमान समय में प्लास्टिक का दैनिक जीवन में सबसे ज्यादा उपयोग हो रहा है। प्लास्टिक की वस्तुओं में सिंगल यूज प्लास्टिक अत्यधिक खतरनाक एवं हानिकारक साबित हो रहे हैं। तकनीकी क्रांति के पश्चात यह वरदान साबित हुई। परंतु अत्यधिक उपयोग होने के बाद जब पर्यावरण और प्रकृति के लिए यह हानिकारक साबित होने लगी तब जानकारों एवं वैज्ञानिकों को यह पता चला कि यह वरदान के साथ-साथ प्रकृति पर्यावरण, धरती एवं मानव जीवन के लिए अभिशाप भी साबित हो रही है। वर्तमान समय में व्यक्ति आधुनिकता का ऐसा चोला पहना हुआ है कि वह अपने सभी परंपरागत दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुओं को त्याग कर सहूलियत और आसानी से उपलब्ध होने वाली चीजें चीजों का उपयोग एवं उपभोग अत्याधिक करने लगा। इन्हीं चीजों के अत्यधिक उपयोग के दुष्परिणाम अब सभी के सामने आने लगे।
प्लॉस्टिक अपशिष्ठ प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2021 के तहत प्लॉस्टिक एवं थर्मोकोल आदि से निर्मित सिंगल यूज प्लॉस्टिक मध्यप्रदेश में एक जुलाई से प्रतिबंधित हो गयी। इसके तहत इन वस्तुओं का उत्पादन, भण्डारण, परिवहन, क्रय-विक्रय एवं उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। इस नियम का पालन नहीं करने वालों से प्रशासनिक विभाग जुर्माना वसूल करेगा। सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन कर दी गई है जिसे बढ़ाकर 120 माइक्रोन तक किया जा सकता है। सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक है जिसे एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। जिन्हें आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता है। इससे प्रदूषण बढ़ता है। इसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता और न ही इन्हें जला कर नष्ट किया जा सकता है। प्रतिबंधित उत्पादन मैं प्लास्टिक फ्लैग, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, थर्माकॉल, प्लेट्स, कप, पैकिंग का सामान, इनविटेशन कार्ड, सिगरेट पैकेट्स, 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक और पीवीसी बैनर आदि शामिल है।
सिंगल यूज प्लास्टिक भले ही पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो गई हो लेकिन इसका आसान एवं किफायती विकल्प अभी भी उपलब्ध नहीं है। सिंगल यूज प्लास्टिक में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली वस्तु कैरी बैग की अगर बात करें तो प्लास्टिक से सस्ता, आसान और सुलभ विकल्प प्रशासन अभी तक नहीं दे पाया है। ग्राहक, दुकानदार से बस तू खरीदता है तव उससे प्रत्येक वस्तु को कैरी बैग में चाहिए। वह अपने घर से थैला लेकर नहीं आता। अब प्रश्न यह उठता है कि जब छोटी से छोटी वस्तु दुकानदार को कैरी बैग में रखकर देना है तब वह खर्च कम करने या लागत घटाने के लिए सबसे सस्ता विकल्प प्लास्टिक का उपयोग क्यों ना करें। वर्तमान समय में कपड़े के थैले के ऊपर लगभग 12% जीएसटी है। कागज के थैलें उतने कारगर साबित नहीं हो पाते। अगर शासन प्रशासन को सिंगल यूज प्लास्टिक के कैरी बैग को प्रतिबंधित ही करना था तो कपड़े से बने थैले को जीएसटी से मुक्त करना चाहिए और उस पर विशेष सब्सिडी का प्रावधान करना चाहिए। तब सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग की जगह कपड़े का थैला ले सकता था।
सिंगल यूज प्लास्टिक प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध सिर्फ छोटे दुकानदारों, ठेला लगाने वालों तक ही सीमित रह गया है। चालान भी इन्हें व्यापारियों का किया जाता है, जबकि हकीकत यह है कि जो प्लास्टिक कैरी बैग का व्यापार प्रतिबंध के पहले जिस प्रकार चलता था आज भी उसी प्रकार चल रहा है। प्रतिबंध का असर सिर्फ कागजों में ही रह गया है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या प्रशासन और प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं होगी। अगर जानकारी नहीं है तो यह प्रशासनिक लापरवाही है और जानकारी के बावजूद भी सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का क्रय- विक्रय, भंडारण और परिवहन हो रहा है। यही सब व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारियों एवं जिम्मेदारों की सांठगांठ, दिखावा और भ्रष्टाचार को प्रदर्शित करता है।